March 26, 2025

भारतीय अर्थव्यवस्था का मेरुदंड और भारतीय अध्यात्म का सार हैं मां गंगा-राजेश शुक्ला

” गंगा नदी की तरह नहीं, बल्कि एक जागृत स्वरूप हैं “

भारत में संस्कृति और संस्कारों का बड़ा महत्व है । हमारी सनातन संस्कृति संस्कारों पर आधारित है । मां गंगा सनातनी संस्कृति की जीवन रेखा हैं । गंगा स्वयं में एक संस्कार हैं । भारतीय अर्थव्यवस्था का मेरुदंड और भारतीय अध्यात्म का सार हैं मां गंगा ।राजेश शुक्ला ने कहा की गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा के तट पर अनेक तीर्थ हैं ‌। 50 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका केवल गंगा के जल पर निर्भर है । 25 करोड़ लोग तो पूर्ण रूप से गंगाजल पर आश्रित हैं । गंगा आस्था ही नहीं आजीविका और केवल जल का ही नहीं, बल्कि जीवन का भी स्रोत है ‌। हमारे लिए गंगा नदी की तरह नहीं, बल्कि एक जागृत स्वरूप हैं । गंगा हजारों वर्षों से अपने बच्चों को सुख और शांति दे रही हैं । मां गंगा भारत के 5 राज्यों से होकर बहती हैं और कई गांवों के लोग गंगा जल का उपयोग पेयजल सिंचाई और स्नान आदि के लिए करते हैं । गंगा कृषि, पर्यटन तथा उद्योगों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं तथा अपने तट पर बसे शहरों की जलापूर्ति भी करती है। गंगा के ऊपर बने पुल, बाँध और नदी परियोजनाएँ भारत की बिजली, पानी और कृषि से सम्बन्धित जरूरतों को पूरा करती हैं। नवम्बर 2008 में भारत सरकार द्वारा गंगा को भारत की राष्ट्रीय नदी तथा प्रयाग और हल्दिया के बीच (1600 किलोमीटर) गंगा नदी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया है । गंगा, भारत की आर्थिक प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है ।
आइए , मां गंगा के आंचल को कचरे से बचाएं । गंगा का संरक्षण करें ।

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