हालात से लाचार एक बेबस बाप अपनी बेटी के लिए मांग रहा है सहयोग

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हालात से लाचार एक बेबस बाप अपनी बेटी के लिए मांग रहा है सहयोग

 

गाजीपुर। इस खबर को पढ़ने के बाद अगर मदद के लिए आपके हाथ आगे बढ़ जाते हैं तो शायद एक मासूम की टूटती सांसें फिर से उसका साथ दे सकती हैं और वह पहले की तरह मुस्कुरा सकती है। यह मासूम है गाजीपुर शहर के अष्टभुजी कालोनी निवासी शशिकांत सिंह की बिटिया अनन्या सिंह, जो पिछले पांच वर्षों से ब्लड कैंसर जैसी घातक बीमारी से लड़ते हुए जिंदगी और मौत से जूझ रही है। शासन और लोगों के सहयोग से पिता पिछले पांच वर्षों से अपनी लाडली का जीवन बचाने में लगा हुआ है, लेकिन अब बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए अधिक पैसा की आवश्यकता आन पड़ी है, इसलिए अब बेबस पिता को आपके मदद की दरकार है।
मालूम हो कि नगर के अष्टभुजी कालोनी बड़ीबाग निवासी शशिकांत सिंह की 11 वर्षीय पुत्री अनन्या सिंह पिछले पांच वर्षों से ब्लड कैंसर जैसी घातक बीमारी से संर्घष करते हुए जीवन और मौत से लड़ रही है। जैसे ही पिता को इस बात की जानकारी हुई थी कि उसकी लाडली को यह घातक बीमारी है, उसकी आंखे सजल हो गई थी और वह इस सोच में पड़ गया था कि उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, फिर कैसे वह अपनी जान की इलाज कराएगा। खैर इस लाचार पिता के दुख को ऊपर वाले ने शायद समझा और शासन, समाजसेवी संस्थाओं, दोस्तों और अन्य अच्छी सोच रखने वालों के सहयोग से पिता शशिकांत ने पीजीआई लखनऊ में बिटिया का उपचार शुरु कराते हुए ईश्वर से रात-दिन बेटी की सलामती के लिए प्रार्थना करने लगा। पीजीआई के चिकित्सकों ने बताया कि अनन्या कैंसर इलाज में बोन मैरो ट्रांसप्लांट करना पड़ेगा। इसके लिए 15 लाख रुपए का खर्च आएगा। यह सुनते ही पिता की आंखें छलक पड़ी। अब वह इस सोच में पड़ गया है कि इतने पैसा का इंतजाम वह कैसे करेगा। उसकी आंखों के सामने हर समय मासूम बिटिया का चेहरा सामने आ रहा है और मन में इस बात की डर बना हुआ है कि कही पैसे के अभाव में वह अपनी लाडली को खो न दें।

इसलिए बेबस पिता ने फेसबुक और अन्य माध्यमों से लोगों से मदद से गुहार लगाई। यदि जीवन से जंग लड़ रही मासूम अनन्या की किसी को मदद करनी हो तो वह उसके पिता के मोबाइल नंबर-9454569191 पर संपर्क कर सकता है। कुल मिलाकर यह तो सच है कि जिंदगी तो बेवफा है, एक दिन ठुकराएगी, मौत महबूबा अपने साथ लेकर जाएगी, लेकिन यदि पैसे के अभाव में पिता शशिकांत ने अपनी लाडली को खो दिया तो ता-जिंदगी उसके दिल में यह बात घर कर जाएगी कि इस दुनिया में गरीब होना सबसे बड़ा अभिशाप है। अगर इस गरीब पर इंसानियत की मरहम लग जाती तो शायद इसके सारे जख्म भर जाते और जिंदगी-मौत से जूझ रही इसकी दुलारी को जीवन दान मिल जाता।

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