सांस्कृतिक अगुआ के निधन से पूरे गांव में शोक*

सांस्कृतिक अगुआ के निधन से पूरे गांव में शोक*
गाजीपुर-सरकारी सेवा में रहते हुए सांस्कृतिक अगुआ की भूमिका निभाने वाले भुवनेश्वर दुबे (72)का शुक्रवार की सुबह निधन हो गया।उनके निधन की सूचना मिलते ही उनके पैतृक गांव मुहम्मदाबाद के सुल्तानपुर में शोक छा गया।उनका अंतिम संस्कार वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट किया गया।मुखाग्नि ज्येष्ठ पुत्र दिग्विजय दुबे ने दिया।वह अपने पीछे दो पुत्रों और एक पुत्री का भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं।
उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए सुल्तानपुर के पूर्व ग्राम प्रधान डा.अविनाश प्रधान ने कहा कि भुवनेश्वर दुबे ने अपने जीवन में गांव के सांस्कृतिक परिवेश को काफी उंचाई प्रदान की।सांस्कृतिक युवक समिति सुल्तानपुर के दस वर्ष से अधिक अध्यक्ष रहते हुए धनुष यज्ञ मेले का स्वरूप ही बदल दिया।नाटकों के निर्देशन के साथ खुद भी अभिनय करते थे।उनकी गणना अच्छे मंचीय कलाकार के रुप में होती रही।उनके कार्यकाल में ही धनुष यज्ञ मेले के मंच का पक्का निर्माण हुआ।युवाओं को सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए प्रेरित करते रहते थे।गांव के जीर्ण शीर्ण हो चुके लाला के शिवालय का अपने व्यक्तिगत खर्च पर पुनर्निर्माण कराया।डा.प्रधान ने कहा कि हरिकीर्तन मंडली का आजीवन संचालन करते रहते हैं।वह गायक भी अच्छे थे।होली में एक टीम उनके नेतृत्व में उनके पूरे जीवन काल तक निकलती रही।उनके निधन से सांस्कृतिक क्षेत्र की बड़ी हानि हुई है।सुल्तानपुर की पहचान गायन वादन को लेकर थी ,उस पहचान को जीवित रखने वाले शख्स का चले जाना अपूरणीय क्षति है।
उनके निधन पर शोक व्यक्त करने वालों में राधेश्याम दुबे, धनंजय राय, सुरेश प्रधान, रामप्रवेश प्रधान, धनंजय प्रधान,चंद्र प्रकाश, विनोद प्रधान, वेद प्रकाश प्रधान, चंद्र शेखर दुबे, बंगा दुबे, विजय शंकर यादव,धनपाल खरवार, लालमन राजभर आदि शामिल हैं।