रक्तदान करने पर दिल से जुड़ी बीमारी से बचाव होता है-सानन्द सिंह

रक्तदान करने पर दिल से जुड़ी बीमारी से बचाव होता है-सानन्द सिंह
गाजीपुर जनपद के गाधीपुरम बोरसिया स्थित सत्यदेव ग्रूप्स आफ कालेजेज के प्रबन्ध निदेशक डा सानन्द सिंह ने विश्व रक्त दान दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में कहा की आज 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस है। शरीर विज्ञान में नोबल पुरस्कार प्राप्त प्रसिद्ध वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन की याद में पूरे विश्व में यह दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य रक्तदान को प्रोत्साहन देना एवं उससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना है। 14 जून 1868 को ही महान वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन का जन्म हुआ था, उन्होंने मानव रक्त में उपस्थित एग्ल्युटिनिन की मौजूदगी के आधार पर रक्तकणों का ए, बी और ओ समूह में वर्गीकरण किया। इस वर्गीकरण ने चिकित्सा विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस महत्वपूर्ण खोज के लिए ही कार्ल लैंडस्टाईन को सन 1930 में नोबल पुरस्कार दिया गया।
डा सानन्द सिंह ने कहा की
सन 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सौ फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान की शुरूआत की, जिसमें 124 प्रमुख देशों को शामिल कर सभी देशों से स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने की अपील की गई। इस पहल का मुख्य उद्देश्य था, कि किसी भी नागरिक को रक्त की आवश्यकता पड़ने पर उसे पैसे देकर रक्त न खरीदना पड़े। और इसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अब तक 49 देशों ने स्वैच्छिक रक्तदान को अमलीजामा पहनाया है। हालांकि कई देशों में अब भी रक्तदान के लिए पैसों का लेनदेन होता है,जिसमें भारत भी शामिल है। लेकिन फिर भी रक्तदान को लेकर विभिन्न संस्थाओं व व्यक्तिगत स्तर पर उठाए गए कदम भारत में स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने में कारगर साबित हुए हैं।
आपने जानकारी देते हुवे कहा की रिसर्च के मुताबिक भारत में रक्त की आवश्यकता का केवल 75 प्रतिशत ही उपलब्ध हो पाता है, जबकि विश्व के अन्य देशों में ये आंकड़े अधिक हैं। नेपाल में 100 में से 90 फीसदी, श्रीलंका में 60 फीसदी, थाईलैंड में 95 फीसदी, इंडोनेशिया में 77 फीसदी और म्यांमार में आवश्यकता के कुल 60 फीसदी रक्त की पूर्ति हो जाती है। इस मामले में भारत अन्य देशों के मुकाबले पीछे है, लेकिन इसके बावजूद देश का पंजाब प्रांत रक्तदान के लेकर काफी जागरूक और सक्रिय है। भटिंडा में 10 हजार से भी अधिक रक्तदाता स्वैच्छिक एवं नियमित रक्तदान करते हैं, साथ ही यहां के ब्लड बैंकों से आसपास के क्षेत्रों- फरीदकोट, पटियाला, मेडिकल कॉलेजों में ब्लड सप्लाई किया जाता है। रेडक्रॉस द्वारा भी 85 फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान होता है जिसे अब 95 फीसदी करने के लिए संस्था सक्रिय है।
डा सानन्द सिंह ने कहा की आज भी लोगों में रक्तदान के प्रति भ्रांतियां मौजूद है –
रक्तदान करने को लेकर आज भी समाज में तरह तरह की भ्रांतियां व्याप्त है, जैसे रक्तदान करने से शरीर कमजोर हो जाता है या बीमार हो जाता है।
इसके अलावा ये भी माना जाता है कि जितना रक्त दान किया जाता है, शरीर में उसकी आपूर्ति महीनों में होती है, और लगातार रक्तदान से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।
दरअसल विश्व रक्तदान दिवस पर लोगों की इन्हीं भ्रांतियों को दूर कर उन्हें जागरूक किया जाता है।
डा सिंह ने कहा की शरीर में रक्त बनने की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है, और हम एक बार में जितना रक्त दान करते हैं, उसकी आपूर्ति 24 घंटे में ही हो जाती है, लेकिन शरीर में उसकी गुणवत्ता पूर्ति में 21 दिनों का समय लगता है।
बल्कि डॉक्टरों के अनुसार नियमित रूप से रक्तदान करने पर दिल से जुड़ी बीमारी से बचाव होता है।
कौन कर सकता है रक्तदान-
16 वर्ष की आयु से लेकर 60 वर्ष की आयुवर्ग का व्यक्ति,
जिसका वजन 45 किलो से अधिक हो,
और जो हेपेटाइटिस बी, सी या, एचआईवी पॉजिटिव न हो ।
कब दे सकते हैं-
जब आप पूरी तरह स्वस्थ हों,
3 माह में 1 बार रक्तदान कर सकते हैं।
क्योंकि लाल रक्त कणिकाएं हर तीन माह में बनती है।
लेकिन ध्यान रखने वाली बात यह भी है, कि आवश्यकता से अधिक रक्तदान भी शरीर के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है। इसके अलावा रक्तदान के पहले रक्त की जांच होना चाहिए, यदि आप धूम्रपान करने के आदि हैं, तो अपने रक्त की जांच अवश्य कराएं।