*हर सूरत में मै जंगीपुर से लडूंगा बिधानसभा चुनाव-डा० मुकेश*

*हर सूरत में मै जंगीपुर से लडूंगा बिधानसभा चुनाव-डा० मुकेश*

2013 से भाजपा की कर रहे हैं सेवा मुकेश सिंह

भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो दूसरे दल से लडूंगा

गाजीपुर भाजपा में डा. मुकेश सिंह वह नाम है जब पार्टी का झंडा उठाने में लोगों को शर्म आती थी। तब उनके पोस्टर पूरे जिले में दिखाई देते थे। जिस पर अटल आडवाणी सरीखे नेता दिखाई देते थे, लेकिन जब भाजपा के दुर्दिन से अच्छे दिन आए तो मुकेश सरीखे नेता हाशिए पर आ गए। उनके साथ पार्टी में लगातार साजिश होती रही। मगर अब उन्होंने जंगीपुर विधानसभा से चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। कहा कि पार्टी ने मुझे लड़ाया तो लड़ेंगे, वरना दूसरे दल से भी अगर लड़ने की जरूरत महसूस हुई तो वह जीतकर चुनाव दिखाएंगे। मुकेश सिंह का यह बयान भाजपा में खलबली मचा सकता है। उन्होंने यह जरूर कहा कि भाजपा राष्ट्रवादी पार्टी है। उसके नाम के पहले भारतीय लगा है, जो देश के लिए गर्व की बात है।

एम एल सी विशाल सिंह चंचल के सगे साले डा. मुकेश सिंह भाजपा का पुराना नाम है। अहिरौली गांव निवासी शिवशंकर सिंह के पुत्र डा. मुकेश सिंह अमेरिका से एमबीबीएस, एमडी की शिक्षा ग्रहण की है। वह वर्तमान में सैदपुर में स्थित वर्ल्ड ग्रीन हास्पिटल एवं ट्राम सेंटर के प्रबंध निदेशक भी हैं। उन्हें बेबाक नेता के रूप में जाना जाता है। जब वह भाजपा में शामिल हुए थे तो अधिकांश नेता सपा और बसपा में चले गए थे। विजयशंकर राय सरीखे नेता ने सपा और बसपा का झंडा तक उठा लिया था। लेकिन मुकेश सिंह ने भाजपा को कभी नहीं छोड़ा। वह 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे। उस समय मनोज सिन्हा चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। उस समय मुकेश सिंह और अरूण सिंह का नाम चल रहा था। ऐन वक्त पर मनोज सिन्हा टिकट पाए और एमपी के साथ केंद्रीय मंत्री बने और उनकी किस्मत चमक गई और डाक्टर मुकेश सिंह सियासत में मजाक बनकर रह गए। फिर 2017 में टिकट देने की बारी आई तो पार्टी को पिछड़े दिखाई देने लगे। वहां भी उन्हें संतोष करना पड़ा। 2022 का विधानसभा चुनाव आ रहा है। बताया जा रहा है कि पार्टी इस बार भी पिछड़ों पर दाव लगाएगी। इसलिए मुकेश सिंह ने भी अपनी राह बदलने की ठानी है। उनसे मुलाकात हुई तो पार्टी की तारीफ की। बोले, सपना सिंह को चेयरमैन बनाने में मेरी भी भूमिका रही।मगर मुझे लोग भूल गए। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि जंगीपुर मेरी सियासी कर्मभूमि बन चुकी है। मैं लडूंगा और जीतकर भी दिखाऊंगा। मेरी कोशिश है कि जंगीपुर के युवाओं के हक की लड़ाई लड़ी जाए।

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