आस्था का केन्द्र हैं माँ कामाख्या धाम नवरात्रि में होती है मांगी मुरादे पूरी यूपी बिहार से आने वाले भक्तों का उमडता है जन सैलाब

आस्था का केन्द्र हैं माँ कामाख्या धाम

नवरात्रि में होती है मांगी मुरादे पूरी

यूपी बिहार से आने वाले भक्तों का उमडता है जन सैलाब

गाजीपुर जनपद के सेवराई तहसील क्षेत्र के करहिया गांव स्थित आदिशक्ति मां कामाख्या धाम पूर्वांचल के लोगों की आस्था विश्वास का केंद्र है। कहा जाता है कि यहां जमदग्नि, विश्वमित्र सरीखे ऋषि मुनियों का सत्संग समागम हुआ करता था। महर्षि विश्वामित्र ने यहां एक महायज्ञ भी किया था।उन्होने राम लक्ष्मण को यहीं पर धनुर्विद्या दी थी।उसी काल में भगवान राम ने बक्सर में ताड़का नामक राक्षसी का वध किया था। मंदिर की स्थापना के बारे में कहा जाता है कि पूर्व काल में फतेहपुर सीकरी के सिकरवार राजकुल पितामह खाबड़ जी महाराज ने कामगिरी पर्वत पर जाकर मां कामाख्या देवी की घोर तपस्या की थी और उनकी तपस्या से प्रसन्न मा कामाख्या ने कालांतर तक सिकरवार वंश की रक्षा करने का वरदान दिया था। 1840 तक मंदिर में खंडित मूर्ति की पूजा होती रही 1841 में गहमर के एक स्वर्णकार तेजमन ने मनोकामना पूरी होने के बाद इस मंदिर के पुनर्निर्माण का बीड़ा उठाया था। ऐसी मान्यता है कि मां के दरबार से कोई भक्त खाली नहीं जाता उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।भारी संख्या में गहमर के लोग सेना में है।लेकिन मां कामाख्या की कृपा से किसी भी युद्ध में यहां के सैनिक का बाल भी बांका नहीं होता।मां कामाख्या स्वयं उनकी रक्षा करती है। चैत्र और .शारदीय नवरात्र में मां के दर्शन के लिए यूपी ही नही बल्कि बिहार प्रांत के दूरदराज से लोग आते हैं। मां कामाख्या के प्रति लोगों में अटूट आस्था एवं विश्वास है

About Post Author