अंत्योदय से आत्मनिर्भर बनने के लिए स्वरोजगार का सहारा – संजय राय शेरपुरिया

अंत्योदय से आत्मनिर्भर बनने के लिए स्वरोजगार का सहारा – संजय राय शेरपुरिया
गांव नहीं बढ़ेगा तो देश बहुत पीछे चला जाएगा – संजय राय शेरपुरिया
“गांव के अंदर रोजगार मुहैया कराया जाय तो पलायन रुकेगा”
“अगर पढ़े लिखे लोग कृषि से नहीं जुड़ेंगे तो वह दिन दूर नहीं जब देश बहुत पीछे चला जाएगा।”
“हमें सरकार को दोष देने की बजाय आत्म निर्भर बनने की जरूरत है।”
“गुजरात अगर रोल मॉडल बना है तो वहां के लोगों की समभाव की बदौलत हुआ है।”
वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में पंडित दिन दयाल उपाध्याय की जयंती पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस संगोष्ठी में यूथ रूरल एंटरप्रेन्योर फाउंडेशन के चीफ मेंटर संजय राय शेरपुरिया बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। नई शिक्षा नीति पर आयोजित इस संगोष्ठी में उन्होंने नयी शिक्षा नीति के अलग अलग पहलुओं पर प्रकाश डाला।
श्री शेरपुरिया ने अपने वक्तव्य में सबसे पहले नयी शिक्षा नीति लागू करने को लागू करने की आवश्यकता पर बोलते हुए कहा कि भारत मे अब तक शिक्षा नीति को लेकर कमीशन पर कमीशन गठित किया गया। लेकिन शिक्षा का मूलभूत ढांचा औपनिवेशिक काल का ही बना रहा। ऐसे में नयी शिक्षा नीति लाने की आवश्यकता महसूस होना लाजमी ही था। नयी शिक्षा नीति के अनुसार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में 2035 तक सकल नामांकन अनुपात को 50 फीसदी तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है।
श्री शेरपुरिया ने इस बात पर भी बल दिया कि अगर शिक्षा नीति को लेकर गठित कोठारी समिति के रिपोर्ट ईमानदारी से लागू किया गया होता तो भारतीय भाषाओं और खास तौर पर संस्कृत की हालत इतनी बुरी नहीं हुई होती। नयी शिक्षा नीति में त्रिभाषा के फॉर्मूला को लागू कर कक्षा 6 से ही व्यावसायिक शिक्षा पर जोर दिया जाएगा। संजय राय ने आगे अपने वक्तव्य में शिक्षा के निजीकरण के मसले को भी गंभीरता से उठाया।उन्होंने कहा कि शिक्षा और खासकर उच्च शिक्षा के निजीकरण के मसले को लेकर जल्दबाजी में किसी निष्कर्ष पर पहुँचे की जगह उसकी नियत, नीति और नियमन को विस्तार से समझना होगा। उन्होंने भारतीय संदर्भो में भारतबोध को लेकर बोलते हुए कहा कि भारतबोध को समझना सही मायनों में मानवतावाद को व्यापक परिपेक्ष में समझना है। लोकसत्ता का मानवतावादी होना आवश्यक है। अंत मे उन्होंने कहा कि आज के समय मे भारतीयता की अगल-अलग परिभाषा और व्याख्या की जा रही है। हर भारतीय नागरिक को राष्ट्र को केंद्र में रखकर भारतीयता की परिभाषा गढ़नी होगी। इसी सोच को विकसित करने पर केंद्रित है देश की नई शिक्षा नीति।
इस संगोष्ठी में काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रोफेसर आनंद कुमार त्यागी ने कहा कि नई शिक्षा नीति को विश्वविद्यालय में लागू कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि पंडित दिन दयाल उपाध्याय की परिकल्पना अंतिम व्यक्ति यानी अंत्योदय से आत्मनिर्भर भारत को देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साकार कर रहे हैं। कुलपति ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज़ादी के सत्तर साल बाद देश को ऐसे प्रधान मंत्री मिले हैं जो भारत को आत्म निर्भर बनाने का पुरजोर प्रयास कर रहे हैं।
आगे उन्होंने कहा कि देश में जॉब में बढ़ावा नहीं हुआ बल्कि जनसंख्या लगातार बढ़ रहा है। और इसी बात को ध्यान में रखते हुए उद्यमी संजय राय शेरपुरिया लगातार काम कर रहे हैं। विश्वविद्यालय श्री राय से अपेक्षा करता है कि वे अपने संस्थान के जरिए हमारे एनएसएस के बच्चों को उद्यमिता के गुर सिखाए जो मिल का पत्थर साबित हो। अंत में उन्होंने श्री संजय राय शेरपुरीय का आभार व्यक्त किया।
इस दौरान कार्यक्रम के समन्वयक डा. केके सिंह, डा. नीरज सहाय, डा. विकास राय, डा. सतीश कुमार, डा. राधेश्याम, डा. अंकित राय, डा. पुष्पेंद्र, डा. पारिजात सौरभ, दीपक चौधरी, श्रीराम राय कमलेश, सौरभ राय समेत बड़ी तादाद में छात्र मौजूद रहे।