साहित्यकार रमाशंकर राय ‘बनफूल’ की प्रथम पुण्यतिथि पर विचार गोष्ठी एवं कवि गोष्ठी का आयोजन

गाजीपुर। साहित्यकार रमाशंकर राय ‘बनफूल’ जी की प्रथम पुण्यतिथि उनके पैतृक गाँव रेवतीपुर में मनायी गई। इस अवसर पर एक विचार गोष्ठी एवं कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया।प्रथम सत्र का प्रारम्भ डाॅ. कमलेश राय के कुशल सम्पादकत्व में निकलने वाली हिन्दी साहित्य की प्रतिष्ठित पत्रिका शब्दिता का लोकार्पण से हुआ। विचार गोष्ठी का प्रारम्भ डाॅ. अक्षय पाण्डेय के विषय प्रवर्तन से हुआ। डॉ. पाण्डेय ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विशद् प्रकाश डालते हुए उनके लेखन को मानवीय संवेदनाओं की संरक्षा करने वाला प्रतिबध्द लेखन कहा। मुख्य अतिथि वरिष्ठ नवगीतकार, पूर्व अपर मण्डलायुक्त वाराणसी ने बनफूल जी के साहित्य की अन्तर्वस्तुओं की पड़ताल करते हुए उनके साहित्य को आमजन के पक्ष में सबलता के साथ खड़ा रहने वाला सार्थक साहित्य कहा। विशिष्ट अतिथि हिमांशु उपाध्याय ने उनके साहित्य को एक ईमानदार व्यक्ति की सच्ची अभिव्यक्ति कहा। इसी क्रम में कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डाॅ. ऋचा राय ने उनके साहित्य की समीक्षात्मक व्याख्या की। संयोजक सच्चिदानंद राय ‘नेताजी’ ने उनसे जुड़ी तमाम स्मृतियों को साझा करते हुए अगन्तुक कवि-साहित्यकारोंं के प्रति आभार व्यक्त किया । अगले सत्र कवि गोष्ठी की शुरुआत छन्द शास्त्र के मर्मज्ञ महाकाव्यकार कामेश्वर द्विवेदी की वाणी-वन्दना से हुई।नवगीतकार हिमांशु उपाध्याय ने ‘छोटे – छोटे पुरवों की गाँव जिन्दगी’, नवगीतकार ओम धीरज ने अपने सरस मुक्तकों से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। वरिष्ठ नवगीतकार कुमार शैलेन्द्र ने ‘मेरा मन इन्द्रधनुषी रंग बन आकाश लिखता है’ एवं युवा नवगीतकार डाॅ. अक्षय पाण्डेय ने ‘एक पल तू गीत जैसा मन बना ले’ सुना कर खूब वाहवाही लूटी। युवा गजल गायक प्रवीण शुक्ल ने ‘हमें न बाँधो दीवारों में / है पूरा संसार हमारा’ सुनाकर श्रोताओं को ताली बजाने के लिए विवश कर दिया। साथ ही गोपाल गौरव, एवं मृत्युंजय राय ‘अमर’ ने अपनी गजलें सुनाकर श्रोताओं को रससिक्त कर दिया। भोजपुरी के वरिष्ठ गीतकार डाॅ. कमलेश राय ने अपने सरस गीत ‘हमार धनि एतने में जिये एगो दुनिया’ सुनाकर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। विनय राय बबुरंग, डाॅ. रामबदन राय, गजाधर शर्मा ‘गंगेश’ प्रखर, मार्कण्डेय आदि कवियों की काव्यात्मक उपस्थिति रही। इस आयोजन में विश्वविमोहन शर्मा, सुहैल खाँ विद्यासागर राय, गोपाल राय, कामेश्वर राय, प्रवीण राय, अवधविहारी राय, अनिल राय, रणधीर यादव,मनोज मिश्र, सुबास पाण्डेय आदि उपस्थित रहे। इस आयोजन की अध्यक्षता कर रहे भोजपुरी के वरिष्ठ कवि अनन्तदेव पाण्डेय ‘अनन्त ‘ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य के साथ अपने सामयिक मुक्तकों को सुनाकर श्रोताओं को सोचने के लिए विवश कर दिया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता अनन्तदेव पाण्डेय ‘अनन्त’ एवं सम्पूर्ण कार्यक्रम का सरस एवं सफल संचालन डाॅ. अक्षय पाण्डेय ने किया

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