गुरू के कृपा से कभी उऋण नहीं हुवा जा सकता-सानन्द सिंह

गाज़ीपुर। आज गुरु पूर्णिमा का पावन त्यौहार गुरुजनों का पूजन वंदन करके पूरे देश में इस त्यौहार को हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है. इसे गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं. क्योंकि आषाढ़ पूर्णिमा को वेद व्यास जी का जन्म हुआ था. इन्होंने मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान कराया था तथा सभी पुराणों की रचना की. महर्षि वेद व्यास के इस योगदान को देखते हुये आषाढ़ पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा की संज्ञा दी गई. नारदपुराण के अनुसार गुरु पूर्णिमा पर ज्ञान और जीवन की सही दिशा बताने वाले गुरु के प्रति अपनी आस्था प्रगट की जाती है। गुरु पूर्णिमा के पर्व को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व अपने आराध्य गुरुजनों को श्रद्धा अर्पित करने का महापर्व है। गुरु को सर्वोच्च मानने की हमारे यहांँ वैदिक परंपरा चली आ रही है । कहा भी गया है- ” गुरुब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुदेव महेश्वर: , गुरु साक्षात्परब्रह्म तस्मैश्री गुरुवे नम: ।”अर्थात गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं और गुरु ही भगवान शंकर हैं। गुरु ही साक्षात परब्रह्म हैं। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूँ। गुरु पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर सत्यदेव डिग्री कॉलेज (गाधिपुरम) बोरसिया, फदनपुर, गाजीपुर, में भी गुरु पूजन और गुरुजनों के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करके पूजन वंदन किया गया । इस पावन अवसर पर सत्यदेव ग्रुप आफ कॉलेजेज के प्रबंध निदेशक प्रोफेसर सानंद सिंह ने गुरु प्रतिमा पर पुष्पार्चन करते हुए गुरु रूपी उस प्रकाश पुंज की किरणों को समस्त संसार को आलोकित करने वाला बताते हुए, उन्होंने कहा-“गुरु का अर्थ होता है ‘गु’ अर्थात अंधकार, ‘रु’ अर्थात अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाले । उन्होंने बताया कि इस प्राचीन सांस्कृतिक विरासत के देश में जिन शिष्यों ने गुरु की सेवा किया, (सेवा – अर्थात सेवन करना ) उसे गुरु कृपा ने विश्व क्षितिज पर चमकता हुआ सितारा बना दिया । हमारे आराध्य देव चाहे महात्मा बुद्ध हो, मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम हो अथवा लीला पुरुषोत्तम श्री कृष्ण सब लोगों ने गुरुजनों की प्राण प्रतिष्ठा की है । और हमें यह मार्ग दिखाया है कि गुरु के इस कृपा से कभी उऋण नहीं हुआ जा सकता । हमें उन समस्त गुरुजनों के प्रति सदा आदर और श्रद्धा पूरी होना चाहिए जिनके ज्ञान पुंज से हम दीप्त हो रहे हैं ।” आगे सत्यदेव डिग्री कॉलेजे के निदेशक अमित सिंह रघुवंशी ने भी गुरुजनों के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित किया । साथ ही उन्होंने महाविद्यालय में उपस्थित समस्त छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि–“बेटों और बेटियों यह कभी भूलना नहीं की जिस ज्ञान के बल पर तुम इस संसार में अपनी पृष्ठभूमि तलाशोगे, अपने कर्म क्षेत्र में जिस ज्ञान के बल पर यश प्रतिष्ठा अर्जित करोगे, वह उन गुरुजनों का दिया हुआ ऋण है, वह ऋण प्रथम गुरु उस माँ का है, जिसने तुम्हें अपने अपनी आवाज देकर बोलना सिखाया । वह ऋण उस पिता का है, जिसने तुम्हें अपने संस्कार दिए, वह ऋण उस गुरु का है जिसने अपने ज्ञान राशि की उस ज्योति से तुम्हें चमकने लायक बनाया । जहां भी रखना अपने पूर्वजों के प्रति हमेशा श्रद्धानत रहना..।” इस पावन अवसर पर सत्यदेव डिग्री कॉलज के प्राचार्य डॉ सुनील कुमार सिंह, काउंसलर , दिग्विजय उपाध्याय, दिनेश सिंह, साहेल परवीन ,संदीप कुशवाहा, मोती वर्मा,मनोज यादव,गुलशन,उरूज फातिमा, इत्यादि प्रबुद्ध शिक्षक गण एवं छात्र – छात्राएं उपस्थित रहे ।