जो दूसरों के आनन्द का कारण बने वही ‘नन्द’ है तथा जो सबको यश व शुभ कर्मों का श्रेय देती है, और जिनके सत्कर्मों का गोपन है वो ‘यशोदा’ है-अवधेशानंद गिरि
कुम्भ नगरी हरिद्वार में जूनापीठाधीश्वर आचार्यमहामंडलेश्वर पूज्यपाद स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी महाराज के श्रीमुख से श्रीहरिहर आश्रम, कनखल, हरिद्वार में...