श्रीराम भारत के शील-सौन्दर्य और चरित्र हैं-स्वामी अवधेशानंद गिरि
कुम्भ नगरी हरिद्वार में जूनापीठाधीश्वर आचार्यमहामंडलेश्वर पूज्यपाद स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी महाराज के श्रीमुख से श्रीहरिहर आश्रम, कनखल, हरिद्वार में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का ‘पंचम दिवस’ सम्पन्न हुआ।

पंचम दिवस की कथा का आरम्भ करते हुए पूज्य अवधेशानंद गिरि जी ने कहा कि परमात्मा का विधान सर्वथा निर्दोष और कल्याणकारी है। उनके विधान में प्रत्येक जीव के लिए जय और निरंतर उन्नति प्रगति के सूत्र हैं। यदि हमारे जीवन में पराभव जैसा कुछ है तो वह हमारे विवेक, विचार के अभाव और अज्ञानता के कारण है। भगवान जितना स्वयं समर्थ हैं, मनुष्य भी उतनी ही सामर्थ्य का अधिकारी है और यह यह जीवन अपनी विराटता को अनुभूत करने के लिए है।
हमारी नियति ब्रह्म होना लिखा है, क्योंकि हम उसी के अंशी हैं। बूँद छोटी है, किन्तु वो है तो जल ही। जैसे बीज के भीतर विशाल वृक्ष छिपा है, उसी प्रकार परमात्मा भी आपके अन्तःकरण में ही विद्यमान है। आप सनातन हैं, मिटेंगे नहीं।
कथा के माहात्म्य का श्रवण कराते हुए पूज्य “आचार्यश्री जी” कहते हैं कि कथा श्रवण से हमारी पात्रता का विकास होता है। ईश्वर को जानने की योग्यता, पात्रता जो जन्म से ही आपके भीतर विद्यमान है, कथा उसे उजागर करती है। सारांशतः श्रीमद्भागवत कथा भगवान की ‘शब्द काया’ ही है।
कथा माहात्म्य के अनंतर पूज्य “आचार्यश्री” जी ने सूर्य वंश के महाप्रतापी राजाओं के आख्यान सुनाया। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की पावन कथा सुनाते हुए पूज्य गुरुदेव ने कहा कि श्रीराम भारत के शील-सौन्दर्य और चरित्र हैं। श्रीराम भारत की भोर का प्रथम स्वर हैं। वो हनुमान जी के बिना पूर्ण नही होते। इसी तारतम्य में उन्होंने असीम सामर्थ्यवान और शक्तिशाली होते हुए भी श्रीहनुमान जी की दास्य भक्ति विनम्रता और सेवा तत्परता का भी उल्लेख किया।

‘पूज्यश्री’ ने कहा कि परीक्षित को कथा श्रवण कराते हुए शुकदेवजी कहते हैं कि राजन ! मैं आपको जगत तारक-उद्धारक भगवान श्रीकृष्ण के पावन लीलामृत का श्रवण करवाता हूँ, जिसे सुनकर मनुष्य का चित्त शांत हो जाता है। देवकी विवाह प्रसंग में कंस की प्रीति, स्नेहन, प्रणयन के अनन्तर उसकी क्रूरता और कंस द्वारा उसके छः पुत्रों की हत्या के बाद भगवान संकर्षण बलराम और जगत तारक, उद्धारक भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कथा के अनन्तर श्रीमद्भागवत कथा के ‘पंचम दिवस’ की पूर्णता हुई।
कथा श्रवण के लिए देश के शिक्षामंत्री आदरणीय रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ एवं उत्तराखंड सरकार के मंत्री आदरणीय श्री स्वामी यतीश्वरानंद जी समेत अनेक गणमान्य विभूतियों का हरिहर आश्रम में आगमन हुआ।
इस अवसर प्रभु प्रेमी संघ की अध्यक्षा पूज्या दीदी महामंडलेश्वर स्वामी नैसर्गिका गिरि जी, महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी राज राजेश्वरानंद जी, महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी अपूर्वानन्द गिरि जी, पूज्य स्वामी सोमदेव गिरि जी, पूज्य स्वामी कैलाशानन्द गिरि जी, कथा के मुख्य यजमान श्री अशोक डांगी जी, श्रीमती अनीता डांगी जी, संस्था के न्यासी गण एवं बड़ी संख्या में साधक उपस्थित रहे।