“पवित्र असि नदी परिक्रमा यात्रा”

“पवित्र असि नदी परिक्रमा यात्रा”
10 अक्टूबर दिन रविवार एक ऐसी यात्रा का गवाह बना जो सदियों पहले बन्द हो चुकी थी । पुर्व निर्धारित समय के अनुसार 7 बजे असि-गंगा संगम तट (संत रविदास घाट) पर पूजन अर्चन के पश्चत यात्रा आरम्भ हुई । यात्रियों का एक विशिष्ट दल इस पवित्र यात्रा पथ को ढूंढते हुए आगे बढ़ा जो अवसर वादी ताकतों के स्वार्थ की भेंट चढ़ चुका है । दुर्गम रास्तों से आगे बढ़ते हुए यात्री काशी विश्वनाथ और असि गंगा के नामों का जय घोष कर रहे थे। विशुद्ध धार्मिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिये की जाने वाली ये यात्रा कई मायने में महत्वपूर्ण है, जिसमें नदी संसकृति का संरक्षण, प्राचीन यात्राओं का प्रचार प्रसार और काशी को उसके मौलिक स्वरुप के अनुसार विकसित करने की कवायद को स्थापित करना हो सकता है । नवरात्रि में इस विशिष्ट यात्रा को करने के संदर्भ में पूछने पर नदी कार्यकर्ता कपींद्र तिवारी ने बताया कि “पुराणों में असि नदी के महात्म से जुड़ी ढेरों कथाएं शामिल हैं । जिसमें शम्भु-निशुंभ के वध के पश्चात माँ भगवती द्वारा अपना कटार फेंकने और उससे एक पवित्र जल धारा फूट पड़ने की कथा भी शामिल है । इसलिये ये यात्रा नवरात्रि में होती रही है ताकी माँ भगवती की कृपा प्राप्त हो सके”। ये चुनौती पूर्ण यात्रा विकास वाद के पैरोकारों से ये सवाल कर रही है कि इन्सानों ने इस चकाचौंध में कितना कुछ खोया है। नदी परिक्रमा पथ न जाने कब के गायब हो चुके हैं । कहीं कहीं तो इसके उपर से ही पाट कर भवन निर्माण कर लिये गये हैं । विकास की आंधी और आधुनिकता का नशा समाज पर इस कदर छाया हुआ है कि वो सब कुछ रौद कर आगे बढ़ जाना चाहता है, कुछ ऐसा ही प्रतीत होता है जब हम असि नदी परिक्रमा पथ पर चल रहे होते हैं । नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि असि नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए नमामि गंगे कटिबद्ध है । असी नदी में गिर रहे मल – जल को गंगा में जाने से रोकने के लिए नमामि गंगे राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन रमणा में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तैयार करा रहा है । एसटीपी का कार्य निर्वाध गति से चल रहा है । भविष्य में असि नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए सभी जरूरी उपाय भी किए जाएंगे । यात्रा करौदी, आदित्य नगर, चितईपुर, कन्दवा होते हुए वापस कंचनपुर, इंद्रानगर, नेवादा, सुन्दरपुर, ब्रम्हानन्द, रवीद्रपूरी होते हुए असि-संगमेश्वर का दर्शन-पूजन कर असि घाट पर पूर्ण हुई ।
बताते चलें कि वर्तमान असि-गंगा संगम स्थल जो अब संत रविदास घाट पर है वो यहाँ से उत्तर असि घाट पर ही हुआ करता था दसकों पहले जब नगर निगम और विकास प्राधिकरण ने इस नदी को दुर्दशा के हद तक पहुचा दिया तो गंगा एक्शन प्लान वन के तहत इसे असी से नगवा में स्थानान्तरित कर दिया गया। ताकी इसे छुपाया जा सके ।
यात्री दल में सर्वश्री स्वामी सर्वानांद सरस्वती, नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला, सीइएसआर के निदेशक और नदी कार्यकर्ता कपिन्द्र तिवारी, मोहन पटेल, शिवेन्द्र जी, जागृति फाऊंडेशन के रामयश मिश्र, समाजिक कार्यकर्ता और भारत विकास परिषद के राकेश मौर्य,वानप्रस्थ समाजिक संस्था के राकेश मिढ्ढ़ा, भारत विकास संगम श्री संजय शुक्ला, वसुदेवाचार्य जी, राष्ट्रिय स्वाभिमान आन्दोलन के श्री बृजेश सिंह, समाजिक कार्यकर्ता सन्तोष बिहारी जयराम शरण आदि दर्जनों विशिष्ट लोग शामिल रहे ।