*भारतीय संस्कृति में महिलाओं को बराबर का अधिकार-सुभाष चन्द्र दूबे*

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*भारतीय संस्कृति में महिलाओं को बराबर का अधिकार-सुभाष चन्द्र दूबे*

*बेटियां भारतीय संस्कृति की राजदूत-इंद्रेश कुमार*

वाराणसी। जातीय सम्मेलनों से उपजे नफरत के विष को रिश्तों के अधिवेशन से उपजा अमृत ही काट सकता है। समाज को जातीय नफरत के विष से बचाने के लिये विशाल भारत संस्थान एवं मुस्लिम महिला फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय रिश्तों के अधिवेशन की श्रृंखला शुरू की जा रही है। इसके तहत कुल 54 रिश्तों का अधिवेशन कराया जायेगा, जिसमें मामा, मामी, चाचा चाची, बुआ फूफा, साला, साली जैसे रिश्तें शामिल हैं। इसी कड़ी में बनारस बेटी अधिवेशन का आयोजन लमही के इन्देश नगर के सुभाष भवन में किया गया। बनारस बेटी अधिवेशन का नई दिल्ली से ऑनलाईन उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य एवं विशाल भारत संस्थान के मार्गदर्शक इन्द्रेश कुमार ने किया।

बनारस बेटी अधिवेशन के मुख्य अतिथि अपर पुलिस आयुक्त सुभाष चन्द्र दुबे ने सुभाष मंदिर में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को पुष्प अर्पित कर मत्था टेका और सलामी दी। मुख्य अतिथि के दीपोज्वलन से बनारस बेटी अधिवेशन का शुभारम्भ किया गया बाल आजाद हिन्द बटालियन की सेनापति दक्षिता भारतवंशी ने तिरंगे के साथ सुभाष चन्द्र दूबे को सलामी दी। कुँअर नवल सिंह उर्फ दोनदार खाँ के 10वीं पीढ़ी के वंशज ऐतिहासिक विरासत के संरक्षक कुंअर मुहम्मद नसीम रजा खां ने तिरंगा साफा पहनाकर मुख्य अतिथि का सम्मान किया.विचार व्यक्त करने की कड़ी में डा. इन्द्रेश कुमार ने कहा कि बेटियां भारतीय संस्कृति की राजदूत हैं। हजारो वर्षों से भारतीय संस्कृति एवं उसके मूल्यों को बचाये रखने में बेटियों को बड़ी भूमिका है।
इस्लाम कहता है कि माँ के करमों में जन्नत है। जो बेटियों का सम्मान नहीं करते वे राक्षसी प्रवृत्ति के होते हैं। इसलिये भारत में प्रचलित कुप्रथा तीन तलाक को खत्म करने में हमने पूरी ताकत लगा दी। प्रधानमंत्री के क्षेत्र से अब यह नारा गूंजेगा बधाई हो बधाई हो बेटी हुयी है। मुख्य अतिथि वाराणसी के अपर पुलिस आयुक्त सुभाष चन्द्र दूबे ने कहा कि भारतीय संस्कृति में महिलाओं को बराबरी का स्थान दिया गया है।पुराणों में कहा गया है यत्र नारियस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता.आज कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जो बालिकाओं से अछूता हो। जिनके अन्दर दृढ़ इच्छा शक्ति हो वो अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकती हैं.आज बालिकाये अपनी प्रतिभा एवम दृढ इच्छा शक्ति के बल पर पूरे विश्व में हर पद को उसकी गरिमा के साथ सुशोभित कर रहीं है.विशाल भारत संस्थान की राष्ट्रीय महासचिव अर्चना भारतवंशों ने कहा कि समाज हमें नज़रंदाज़ न करे। घर से लेकर बाहर तक केवल बेटियों को ही परीक्षा क्यों देनी पड़ती है। हर बार परीक्षा में खरा उतरने पर भी हमें शक की निगाह से क्यों देखा जाता है। परिवार को जोड़ने में बेटियों की बड़ी भूमिका है। परिवार से लेकर देश तक को एक सूत्र में बांधना बेटियों की प्राथमिकता है। अब हमें हर क्षेत्र में अवसर चाहिये काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में इतिहास को प्रोफेसर डा0 मृदुला जायसवाल ने कहा कि बेटियों
के लिये सबसे बड़ी जरूरत सामाजिक भय से मुक्ति दिलाना है और यह मुक्ति रिश्तों के मजबूत होने से ही मिल सकती है। मुस्लिम आक्रमण के बाद बेटियों को घर में कैद करने की कुप्रथा विकसित हुयी जो आज भी सामाजिक भय को वजह से प्रथा में बदल गयी है।

बेटियों को अवसर मिलेगा तो समाज और राष्ट्र को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगी। लक्ष्मी बाई, बेगम हजरत महल, मुल्ताना रजिया, दुर्गा भाभी आदि भारत को महान बेटियां है जिन्होंने विपरीत परिस्थिति में भी स्वयं को साबित किया मुस्लिम महिला फाउण्डेशन को नेशनल सदर नाजनीन अंसारी ने कहा कि बेटियों से भेदभाव खत्म हो सरकार में हमें भी पूरी भागीदारी चाहिये हमारे उपर किसी की मज थोपी न जाय रोजगार, शिक्षा और राजनीति में हमें पूरी आजादी के साथ निर्णय लेने का हक है। अग्रसेन कॉलेज की अंजू श्रीवास्तव ने कहा कि यह देश बेटियों की गौरवगाथा से भरा है। बेटियों पर भरोसा करें, मौका दें और उन्हें आगे बढ़ने की आजादी दें। अधिवेशन के विशिष्ट वक्ता विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा0 राजीव गुरूजी

ने कहा कि रिश्तों को मजबूत करके बेटियों को सुरक्षित समाज देना प्रत्येक व्यक्ति के लिये अनिवार्य शर्त है बेटियों को वर चुनने से लेकर कैरियर चुनने तक की आजादी की वकालत होनी चाहिये। हम बेटियों को सुधारने में लगे रहे और बेटे बिगड़ते चले गये, जिससे यौन हिंसा बढ़ी, अनाचार बढ़ा बेटियों को प्रोत्साहित करने के लिये भारत की उन बेटियों का इतिहास सबके सामने लाया जायेगा जिन्होंने भारत भूमि के लिये अपना योगदान दिया है। प्रत्येक बेटी का कर्तव्य अपने देश के साथ जुड़ा है बेटियां स्वयं पहचान बना लेंगी, बस उन्हें प्रोत्साहित करने की जरूरत है। अधिवेशन में अपने क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वाली 9 बेटियों उम्मे ऐनम खानम, दीक्षा श्रीवास्तव, डा. रोमेशा सोलंकी, वैशाली श्रीवास्तव, खुशी रमन भारतवंशी इली भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी, डा. अंजू श्रीवास्तव को सुभाष चन्द्र दूबे ने प्रमाण पत्र एवं श्रीराम अंगवस्त्रम् देकर सम्मानित किया।

विशाल भारत संस्थान द्वारा चलाये जा रहे सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र में प्रशिक्षण पूर्ण कर चुकी 13 बेटियों सुमन, नेहा पटेल, चांदनी पटेल, कंचन पटेल, गुंजा पटेल, शबीना बानो, नाजिया बानी राजिया, अल्का सिंह, श्रुति, वर्षा पटेल, नजमा बानो, राबिया बानो को प्रमाण पत्र वितरित किया गया। बनारस बेटी अधिवेशन में नौ प्रस्ताव पारित किये गये कार्यक्रम का संचालन नजमा परवीन ने किया। इस कार्यक्रम में लक्ष्मी, रूचि सिंह, सरोज, गीता, उर्मिला, लीलावती, शिखा, राधा, रिया, प्रियंका, शीला, किशुना, किरन, रमता, वैष्णवी, आभा पटेल, संजू गोंड, रिद्धि शाह, निधि राय, सोनिया जैन, रजनी शर्मा के साथ 108 बेटियों ने भाग लिया।

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