वाराणसी में गैंगस्टर आरोपितों की सम्पत्ति का कमिश्नरेट पुलिस जुटा रही ब्योरा, जब्ती की जल्‍द होगी कार्रवाई

कमिश्नरेट पुलिस गैंगस्टर आरोपितों की सम्पत्ति का ब्योरा जुटा रही है। पुलिस उन पुराने मामलों को भी खंगाल रही है जिनमें गाढ़ी कमाई लगाने वालों के साथ धोखाधड़ी हुई है। मामला निलगिरी इंफ्रा सिटी कम्पनी तक सीमित नहीं रखा जाएगा।

वाराणसी। कमिश्नरेट पुलिस गैंगस्टर आरोपितों की सम्पत्ति का ब्योरा जुटा रही है। पुलिस उन पुराने मामलों को भी खंगाल रही है, जिनमें गाढ़ी कमाई लगाने वालों के साथ धोखाधड़ी हुई है। मामला निलगिरी इंफ्रा सिटी कम्पनी तक सीमित नहीं रखा जाएगा। करोड़ों की धोखाधड़ी करने वाली शाइन सिटी कम्पनी भी निशाने पर है। कम्पनी के मालिकों के खिलाफ वाराणसी से लखनऊ तक दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं।

गैंगस्टर की कार्रवाई का बढ़ाएंगे दायरा : कमिश्नरेट क्षेत्र में अपराध पर अंकुश लगाने के लिए गैंगस्टर एक्ट के तहत शातिर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई का दायरा पुलिस और बढ़ाएगी। अब तक के लक्ष्य 100 को दो सौ तक ले जाया जाएगा। बता दें कि कमिश्नरेट पुलिस ने पिछले दिनों गैंगस्टर के 100 मामले दर्ज किए हैं। आरोपितों की संपत्ति का ब्योरा अब जुटाया जा रहा है। गिरोह बनाकर अपराध के जरिये अर्जित की गई संपत्तियां अब पुलिस कमिश्नरेट प्रशासन की ओर से जब्त की जाएगी। वाराणसी जिले में पहली बार ऐसा होगा। इसके पहले जिला प्रशासन के आदेश पर यह कार्रवाई होती थी।

अपर पुलिस आयुक्त अपराध एवं मुख्यालय सुभाषचंद्र दुबे के आदेश पर कमिश्नरेट क्षेत्र में 24 से लेकर 31 अगस्त के बीच महज आठ दिन में कमिश्नरेट क्षेत्र में 100 आरोपितों को निरुद्ध किया गया है। कई जेल में हैं तो कई अपराधी बाहर हैं। फरार चल रहे बदमाशों की गिरफ्तारी के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही थानावार सभी नामजद अपराधियों की संपत्ति का ब्योरा जुटाने का आदेश दे दिया गया है। इसमें लंका थाने में पांच, भेलूपुर में चार, सारनाथ, मंडुवाडीह व कैंट थाने में तीन-तीन, सिगरा में दो, जैतपुरा में एक मुकदमे यानी गिरोह पंजीकृत किये गये हैं। अपर पुलिस आयुक्त अपराध एवं मुख्यालय ने सभी की संपत्तियों का ब्योरा जुटाने का आदेश दिया है।

पहले डीएम करते थे यह कार्रवाई : कमिश्नरेट लागू होने के बाद पहली बार इतनी संख्या में अपराधियों को गैंगस्टर एक्ट के तहत निरुद्ध किया गया है। इसके पीछे कारण कमिश्नरेट प्रणाली लागू होना है। इसके पहले तक अपराधियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई के लिए औपचारिकताएं पूरी करने में समय निकलता था। जिलाधिकारी के आदेश के बाद थाने में गिरोह पंजीकृत किये जाते थे। अब औपचारिकताएं न होने के कारण ही एक साथ इतने गिरोह पंजीकृत किये जा सके हैं।

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