*अंसारी परिवार की दुबारा सपा में एंट्री,सिबगतुल्लाह अंसारी हुए सपाई*

उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव नजदीक आते ही विभिन्न राजनीतिक दलों में जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू हो चुकी है।इसी क्रम में गाजीपुर की राजनीति में लग रही अटकलों को उस समय विराम लग गया जब बहुजन समाज पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी के भाई पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी ने अपने पुत्र मन्नू अंसारी समेत राजधानी लखनऊ में समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की । लखनऊ में शनिवार को समाजवादी पार्टी के मुख्यालय में गाजीपुर के बसपा सासंद अफजाल अंसारी तथा विधायक मुख्तार अंसारी के भाई पुर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी अपने बेटे मन्नू अंसारी के साथ सपा पार्टी की सदस्यता ले ली है। अब जबकि सिबगातुल्लाह अंसारी साइकिल पर सवार हो चुके हैं तो जिले में सियासी पारा चढ़ने लगा है । दर्जनों गाड़ियों में पूर्व विधायक के समर्थकों का काफिला शुक्रवार से ही लखनऊ में डेरा डाले हुए था। समाजवादी पार्टी में शामिल होने में जिले की नगर पंचायत बहादुरगंज से चार बार चेयरमैन की कुर्सी पर कब्जा जमाए हुए रियाज अंसारी भी रहे जिन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मौजूदगी में समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। गौरतलब है कि गाजीपुर जिले समेत पूर्वांचल की राजनीति में अंसारी परिवार किसी परिचय का मोहताज नहीं है और एक सशक्त राजनीतिक घराना माना जाता है। शनिवार को समाजवादी पार्टी में शामिल हुए
सिबगतुल्लाह अंसारी गाजीपुर की मुहम्मदाबाद सीट से विधायक रह चुके हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की अलका राय से उन्हेंं हार का सामना करना पड़ा था। उस समय की पराजय में अखिलेश यादव की अंसारी परिवार से नाराजगी प्रमुख कारण रही जब उनके दल के मतदाताओं के एक बड़े हिस्से ने भारतीय जनता पार्टी के लिए वोट किया था। अंसारी के समाजवादी पार्टी के दामन थामने के बाद से यह भी अटकलें लग रही हैं कि उनके पुत्र को मोहम्मदाबाद विधानसभा से आगामी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी टिकट दे सकती है ऐसे में मोहम्दाबाद की सियासत एक बार फिर से दिलचस्प होगी क्योंकि लंबे समय से समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ एवं कर्मठ सिपाही के रूप में काम कर रहे राजेश राय पप्पू को समाजवादी पार्टी किस तरह संतुष्ट करती है ,यह काफी महत्वपूर्ण होगा।गौरतलब है कि मोहम्मदाबाद विधानसभा में सबसे ज्यादा मतदाता भूमिहार समाज से आते हैं और राजेश राय पप्पू अपने समाज में विगत 10 वर्षों से काफी सक्रिय रहे हैं। यही नहीं ,2012 का विधानसभा चुनाव भी काफी दमदारी से लड़े थे और 58 हज़ार वोट पाकर केवल 5000 से चुनाव हारे थे।