गाजीपुर जनपद के राजापुर में भगवान शिव के त्रिशूल स्वरूप में बिराजमान है गोरिल बाबा

 

गाजीपुर जनपद के मुहम्मदाबाद तहसील क्षेत्र के राजापुर ग्राम के रायपुर मौजे में बिराजमान है त्रिशूल धारी बाबा भोले नाथ का एक दिब्य अलौकिक स्वरूप श्री गोरिल बाबा। परम्परानुसार श्रावण शुक्ल सप्तमी या उसके बाद पडने वाले मंगलवार को श्री गोरिल बाबा के धाम पर मेले का आयोजन होता है। इस मेले में आस्था एवम विश्वास के परिणाम स्वरूप हजारों हजार की संख्या में श्रद्धालु जन का आवागमन होता है। भगवान भोले नाथ के त्रिशूल सदृश श्री गोरिल बाबा लोगों की हर मनोकामना पूर्ण करते है। मेले में बिराट दंगल का भी आयोजन किया जाता है जिसमें गाजीपुर बलिया वाराणसी मऊ आदि जिलों के नामी गिनामी पहलवान आकर मल्ल युद्ध का कुश्ती कला का प्रदर्शन करते है। श्री गोरिल बाबा के राजापुर में प्रकट होने के बारे में प्राप्त जानकारी के अनुसार अठारहवी शताब्दी में राजापुर के लोगों के पूर्वज श्री कान्त राय जी आजमगढ़ जनपद के रैनी अमारी ग्राम से चलकर उक्त स्थान पर पहूंचे जहां पर आज के समय में शिव के अवतार श्री गोरिल बाबा का धाम स्थित है। उन्होंने वहां पर जो देखा वह आश्चर्यजनक था उस घटना को देखते ही उनके रोंगटे खडे हो गये। उन्होने देखा की बिना हलवाहे के हल अपने आप खेत में चल रहा था। तभी त्रिशुलधारी बाबा हाथी पर चढ कर सामने प्रगट हुवे और उनकी शंका मिटाई। आपने कहा की डरो मत बेटा मै गोरिल डीह हूं। बेटा अपनी ब्यथा सुनाओ। तब श्रीकांत राय ने कहा की मै आपके शरण में शरणागत हूं मुझे आपकी छत्रछाया चाहिए।श्री गोरिल बाबा ने कहा की बेटा तुम सपरिवार यहीं पर आकर बस जाओ मै सदैव तुम सबकी रक्षा करूंगा। उस समय इस इलाके में चेर एवम खरवार जाति का आतंक था। गोरिल बाबा की कृपा से उनकी झोपडियों पर ईंट एवम पत्थर की बर्षा होने लगी। बाबा की कृपा से तीन दिन के अन्दर ही उनका सर्वनाश हो गया। जो बचे वह भाग कर अन्यत्र चले गये। आज भी राजापुर उसी इंट पत्थर की वर्षा से बने उंचे टीले पर ही आबाद है। उसी समय श्रीकांत राय ने सपरिवार बस कर राजापुर को आबाद किया। एक समय कुछ चोर बाबा गोरिल नाथ जी की मुर्ति उखाड़ कर ले जाने का प्रयास किये तो पास में स्थित एक कुंआ मे गिर गये उनके आंखो की रोशनी गायब हो गयी। जब बाबा की प्रार्थना किये तो उनकी आंखो की रोशनी वापस आई और जीवन दान मिला। बुजुर्गों के द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार अंग्रेजो के द्वारा यहां पर हवाई अड्डा बनाने के लिए भूमि की पैमाईश की गयी। भूमि पूजन कराये बिना मजदूरों द्वारा जब फावडे से खुदाई शुरू की गयी तो मजदूर एक एक करके अचेत होकर के गिरने लगे और उन सभी की आंखो की रोशनी भी गायब हो गयी। वे सभी मजदूर असहाय होकर रोने चिल्लाने लगे। चारो तरफ हाहाकार मच गया। इसकी सूचना इंजिनियर एवम अधिकारियों को मिली। वह लोग भी भागे भागे मौके पर आये। उनके आने के बाद अदृश्य शक्ति श्री गोरिल बाबा ने कहा की यह कृषि योग्य भूंमि है मैने एक परिवार को यहां पर बसाया है उनकी रक्षा होनी चाहिए। उनके मना करने पर हवाई अड्डा का निर्माण कार्य बन्द करने के आश्वासन पर सभी मजदूरों की स्थिति में सुधार हो गया। निर्माण कार्य बन्द कर दिया गया। वही हवाई अड्डा बाद में शहबाज कुली में बनाया गया था। बाद में श्रीकांत राय का घोडा जिस क्षेत्र तक दौडा वह क्षेत्र राजापुर ग्राम की सीमा में आ गया। अठारहवीं शताब्दी से लेकर आज तक बावनो गांव दोनवार वंशीय भूंमिहार एवं उनके रिश्तेदार सगे सम्बन्धी श्री गोरिल बाबा को अपना इष्टदेव मानते है। प्रत्येक मंगलवार को धाम पर श्रद्धालुओं की भींड उमडती है। बाबा सबकी मनोकामना पूर्ण करते है।आज के समय में बाबा के धाम पर लोगों के द्वारा बहुत सारा बिकास कार्य कराया गया है।बाबा के मुख्य चबूतरे के चारो तरफ स्टील का खूबसूरत घेरा बनवाया गया है। जिससे बाबा के स्थान की सुन्दरता और बढ गयी है।यहां पर धर्मशाला हवन कुण्ड का भी निर्माण कराया गया है।

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