*गाजीपुर जनपद के सुहवल क्षेत्र में एक ऐसा शिवलिंग है जो लकड़ी का है*

देश में हर जगह लोग पत्थर की मूर्ति और शिवलिंग की पूजा करते हैं।गाजीपुर जनपद के सुहवल क्षेत्र में एक ऐसा शिवलिंग है जो लकड़ी का है। सैकड़ों वर्षों से यहां स्थापित होने के बावजूद उसके रूप में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। लोग उन्हें घायल महादेव के नाम से जानते हैं।
मान्यता है कि सैकड़ों साल पहले एक किसान को खेतों में हल से खुदाई के दौरान जब ये शिवलिंग मिला था तो कुछ हिस्से में हल से चोट के कारण खरोच आ गई थी। इसके निशान आज भी मौजूद हैं। इसके वजह से लोग बाबा को घायल महादेव कहकर पुकारते हैं। यही नहीं, इस लकड़ी के शिवलिंग के ऊपर सैकड़ों वर्षों से कोई छत नहीं है। गर्मी, बरसात और लोगों के जलाभिषेक के बाद भी यह शिवलिंग के स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।
किसान को सपने में महादेव ने दिया था दर्शन
सुहवल क्षेत्र में मौजूद घायल महादेव के मंदिर से कई किवदंती जुड़ी हुई हैं। सैकड़ों साल पुराने इस शिव मंदिर को लेकर भक्तों के बीच अनूठी कहानी मशहूर है। स्थानीय बुजुर्ग भूवन यादव बताते हैं कि उस समय इस स्थान पर मिट्टी का टीला हुआ करता था। किसान के खेत की जुताई के दौरान हल का फाल जमीन में किसी ठोस वस्तु से टकराया। जब इसे बाहर निकाला गया तो लकड़ी के शिवलिंग को देख लोग हैरत में पड़ गए। उसी रात किसान के सपने में शंकर जी प्रकट हुए और खुले आसमान के नीचे उस काष्ठ के शिवलिंग की स्थापना की राह दिखाई।
जांच के लिए कई बार आ चुकी है टीम
गांव के ही दूसरे बुजुर्ग राजेश चौधरी बताते हैं कि हल के प्रहार से घायल इस शिवलिंग को स्थानीय लोगों और भक्तों ने वहीं स्थापित कर दिया था। कालांतर में श्रद्धालुओं ने मंदिर बना डाला। रामबिलाश बताते हैं कि हैरत की बात है कि आज भी यह मंदिर बिना छत-गुंबद के है। खास बात यह है कि लगातार जलाभिषेक होने के बाद भी यह लकड़ी का शिवलिंग जैसे का तैसा है। इसमें महादेव की विशेष कृपा को दर्शाया गया है। बुजुर्ग धन्नी बताते हैं कि कुछ साल पहले बाहर से कुछ लोग यह जानने के लिए आए थे कि शिवलिंग पत्थर का या लकड़ी का है।