सिद्धार्थ की देसी प्रयोगशाला ।

समाजसेवी सिद्धार्थ ने लगभग दो साल पहले हाला हरिहरपुर गाँव में पशुपालन का कार्य शुरू किया । उसी दौरान सिद्धार्थ का मिलना गाँव के बच्चों से और बड़े बुजुर्गों से होने लगा । उनसे बात करने पर समझ आया की यह इलाक़ा आज भी बहुत पिछड़ा हुआ है । फिर प्रतिदिन सिद्धार्थ ने अपना समय निकाल कर बच्चों को दो घंटे खुद पढ़ाना शुरू कर दिया । बाद में पता चला की बच्चों ने आज तक कम्प्यूटर देखा तक नही है , चलाना तो दूर की बात है ।

 

उसके बाद सिद्धार्थ ने अपना और अन्य लोगों के घर या ऑफ़िस में पड़े पुराने कम्प्यूटर जो लोगों के लिए अब उपयोगी नही रहे क्युँ की लोगों ने लैप्टॉप या टैब्लेट ख़रीद लिये थे को माँग कर सही करवा कर गाँव के अंदर ही एक कम्प्यूटर सेंटर बना दिया ।

 

अब जो अनुपयोगी कम्प्यूटर दूसरों के लिए थे वही कम्प्यूटर अब उपयोगी गाँव के बच्चों के लिए बन गये । अब प्रतिदिन सुबह और शाम अलग अलग शिफ़्ट में बच्चे आकार कम्प्यूटर सीखते हैं । धीरे धीरे साल भर होने को है और बच्चे जो कम्प्यूटर को जानते तक नही थे आज तेज़ी से अपनी उँगलियाँ कम्प्यूटर पर दौड़ाते हैं ।

 


सिद्धार्थ 2010 से अपने घर पर बच्चों को जुटा कर पढ़ाते आरहे हैं किसी ना किसी तरह । कभी कभी आप सिद्धार्थ को गंगा किनारे घाट पर भी बच्चों को पढ़ाते देख सकते हैं ।

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