मेराज खां पैतृक गांव महेंद में शनिवार को सुपुर्द-ए-खाक

चित्रकूट जेल शूट आउट में मारे गए मेराज खां को उनके पैतृक गांव मुहम्मदाबाद तहसील क्षेत्र के महेंद में शनिवार की शाम सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। इस मौके पर हजारो की संख्या में लोग मौजूद रहे। उनमें मेराज के स्वजनों, नातेदारों के अलावा बिहार सरकार के कैबिनेट मंत्री मोहम्मद जमा खान, पूर्व विधायक मुहम्मदाबाद सिबगतुल्लाह अंसारी, सपा के वरिष्ठ नेता व पठान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष हैदर अली टाइगर आदि प्रमुख थे। एहतियात के तौर पर एएसपी ग्रामीण आरडी चौरसिया तथा सीओ मुहम्मदाबाद राजीव द्विवेदी की अगुवाई में करीमुद्दीनपुर और आस-पास के थानों की फोर्स, पीएसी के जवान भी डटे रहे।

इसके पूर्व मेराज का शव चित्रकूट से एम्बुलेंस से वाराणसी के अशोक विहार स्थित उनके आवास और उसके बाद महेंद लाया गया। महेंद में शव को पुश्तैनी कब्रिस्तान में पूरे विधि विधान के साथ दफनाया गया।

वाराणसी से लाते वक्त शव को एंबुलेंस में रखा गया था। उसके आगे-पीछे कई चार पहिया गाड़ियां चल रही थीं। उनमें पुलिस की भी गाड़ी थी।

मालूम हो कि मेराज खां चित्रकूट जेल में निरुद्ध थे। जहां कैद गैंगस्टर अंशुल दीक्षित ने मेराज और अन्य गैंगस्टर मुकीम काला की गोली मार कर हत्या कर दी थी। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में अंशुल दीक्षित भी मौके पर ही ढेर हो गया था। मेराज को सिर, सीने, पेट तथा पैर में कुल चार गोलियां लगी थी। जानकारों की मानी जाए तो शरीर के यह ऊपरी हिस्से काफी नाजुक होते हैं और वहां गोलियां लगने का मतलब मौत सुनिश्चित रहती है। चूंकि अंशुल दीक्षित शॉर्प शूटर था। लिहाजा वह मेराज के शरीर में गोलियां उतारते वक्त उनके बचने की कोई गुंजाइश अपनी ओर से नहीं छोड़ा था।

पिछले साल महेंद आए थे मेराज
वैसे तो मेराज का पूरा परिवार वाराणसी में ही रहता है और परिवार के लोग मौके दर मौके आते जाते रहते हैं। गांव की बिचली पट्टी में परिवार का पुश्तैनी घर-दुआर के साथ ही खेत-बारी भी है। इस सब की देखरेख खानदान के लोग ही करते हैं। गांव वालों की मानी जाए तो मेराज आखिरी बार पिछले साल तब महेंद आए थे जब उनके विरुद्ध वाराणसी के जैतपुरा थाने में असलहा लाइसेंस के नवीनीकरण में फर्जीवाड़ा का केस दर्ज हुआ था। अंडरवर्ल्ड में मेराज की पहचान मुख्तार अंसारी के करीबियों में रही है। वह माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी के अर्थ प्रबंधक भी बताए जाते थे लेकिन बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद वह उसकी मुखालफत बतियाने लगे थे।

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