त्रिलोचन कीर्ति स्तंभ सहरमाडीह के द्वितीय स्थापना दिवस पर भव्य समारोह संपन्न

त्रिलोचन कीर्ति स्तंभ सहरमाडीह के द्वितीय स्थापना दिवस पर भव्य समारोह संपन्न

गाजीपुर जनपद के भांवरकोल ब्लॉक मुख्यालय स्थित सहरमाडीह स्थित त्रिलोचन कीर्ति स्तंभ का द्वितीय स्थापना दिवस समारोह श्रद्धा पूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर कुलदेवी की प्रार्थना एवं पूजन वैदिक मंत्रोचार के बीच किया गया।इसके बाद सभी कश्यप गोत्रीय भू ब्राह्मणों का टीका लगाकर एवं अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया। इसके पश्चात एक सम्मेलन किया गया। सम्मेलन में बोलते हुए संरक्षक अरविंद राय ने कहा कि कीर्ति स्तंभ में बाली अन्न का प्रतीक है और फरसा वीरता का प्रतीक है।

 

ब्राह्मण वही है जो समाज को किसान के रूप में अन्न, विद्वत्ता और आवश्यकता पड़ने पर शस्त्र भी उठा सके।उन्होंने कहा कि किनवार कीर्ति स्तंभ से सभी लोगो को जोड़ा जाएगा और इस वंश का कल्याण किस प्रकार हो सके इसके लिए सार्थक प्रयास किया जाएगा।उन्होंने कहा कि यह समाज एकजुट होकर गरीबो असहायों की हरसंभव मदद करेगा।वरिष्ठ संपादक के एन राय ने कहा कि त्रिलोचन दीक्षित गढ़वाल वंश के नवरत्नों में से एक थे।

काशी के दशाश्वमेध घाट पर जो अश्वमेघ यज्ञ हुआ था उसके मुख्य पुरोहित थे।उन्ही के वंशज मूलन दीक्षित ने हेमचंद को हराया था जिसके बाद उन्हें सात सौ गांव मिले।इस अवसर प्रगतिशील किसान दिवाकर राय ,जितेंद राय ,पंकज राय को अंगवस्त्रम और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।इस मौके पर भाजपा नेता वीरेंद्र राय ने तोरण द्वार बनवाने की घोषणा की।ज्ञात हो कि कीर्ति स्तंभ किनवार वंश की नींव डालने वाले त्रिलोचन दीक्षित की स्मृति में बना है।इतिहास के अनुसार कर्नाटक के ब्राह्मण वंशीय अमोघ दीक्षित के पुत्र त्रिलोचन दीक्षित की इच्छा उत्तर भारत मे बसने की हुई।अपने पिता से आज्ञा लेकर वे इस सहरमाडीह पर बसे जहाँ से कश्यप गोत्रीय किनवार वंश की नींव पड़ी।इन्ही के वंशज बलिया, बिहार आजमगढ़ में बसे है।गहरवार वंश के राजा जयचंद्र की पुत्री का विवाह इसी वंश में हुआ और उन्होंने इस वंश को 750 गांव देकर राजा की उपाधि प्रदान की। कार्यक्रम की अध्यक्षता किनवार समाज के अध्यक्ष संन्तोष राय एवं संचालन व्यास मुनि राय ने किया एवं विनय राय ने सभी आगंतुकों को धन्यवाद ज्ञापित दिया।

 

इस मौके पर अध्यक्ष संतोष राय, डाक्टर मान्धाता राय, साहित्यकार रामबदन राय, मदन गोपाल राय, राजेंद्र राय,शारदानंद राय,बीरेंद्र राय, बिजयशंकर राय, शेषनाथ राय, कामेश्वर नाथ राय,अविनाश प्रधान, हिमांशु राय, विनय राय, देवेन्द्र प्रताप सिंह, इंद्रासन राय, बिजेंद्र राय, कमलेश शर्मा, नागा दूबे, भगवती राय, पंकज राय, धीरेन्द्र राय, कृष्ण कांत राय,दिवाकर राय,श्री प्रकाश राय, जनार्दन राय, श्याम बहादुर राय, सन्तोष राय बब्लू,अवनीश राय, जयशंकर राय, बरमेश्वर राय, रविन्द्र यादव समेत भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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