जीवन के लिए रामबाण है सहजन-पंकज राय

एस के नेशनल कान्वेंट स्कूल महेन्द के प्रबन्धक अब्दुल कादिर खान को पंकज राय ने भेंट किया सहजन का पौधा

गाजीपुर जनपद के करीमुद्दीनपुर स्थित पाली हाउस पर एस के नेशनल कान्वेंट स्कूल महेन्द के प्रबंधक अब्दुल कादिर खान के पहुंचने पर पंकज राय के द्वारा स्वागत किया गया।पंकज राय से कादिर खान ने आर्गेनिक खेती की जानकारी ली एवं फार्म हाउस का निरिक्षण किया गया।इस मौके पर पंकज राय के द्वारा साल में दो बार फल देने वाला सहजन का पौधा कादिर खान को भेंट किया गया।प्रगतिशील किसान पंकज राय ने बताया की मानव जीवन के लिए रामबाण है सहजन।इसके हर चीज का अलग अलग महत्व है।

सहजन के फूल उदर रोगों व कफ रोगों में इसकी फली वात व उदरशूल में पत्ती नेत्ररोग, मोच ,शियाटिका ,गठिया आदि में उपयोगी है।

सहजन की जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग साईटिका, गठिया,लीवर आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है।

सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है।

सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात एवं कफ रोग शांत हो जाते है, इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, शियाटिका, पक्षाघात, वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है। साईटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है।

सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है।

आयुर्वेद में सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है।

सहजन की सब्जी खाने से पुराने गठिया और जोड़ों के दर्द व वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है।

सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता ,है।

सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है।

सहजन की ,जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है।

सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है।

सहजन फली का रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।

सहजन की पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है।

सहजन की छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है।

सहजन के कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है।

सहजन की जड़ का काढे को सेंधा नमक और हिंग के साथ पिने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है।

सहजन की पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते ,है।

सहजन के पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे तो सर दर्द दूर हो जाता है।

सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।

सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शरीर के कई रोगों से लड़ता है खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तोए आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी.

सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आयरन, मैग्नीशियम और सीलियम होता है।

सहजन का जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।

सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है। इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है।

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