भाद्रपद के कृष्णपक्ष अष्टमी तिथि को वृषभ लग्न रोहणी नक्षत्र में बुधवार को हुआ था भगवान श्री कृष्ण का जन्म -आचार्य पंडित अभिषेक तिवारी

अष्टमी 11 अगस्त को सुबह 06:15 बजे से प्रारम्भ होगी जो कि 12 अगस्त को प्रातः 08:01 बजे तक रहेगी।
रोहणी नक्षत्र 12 अगस्त को रात्रि 01:30बजे से 13अगस्त रात्रि 03:14 बजे तक रहेगा!

आचार्य पंडित अभिषेक तिवारी मुहम्मदाबाद ने बताया की भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद के कृष्णपक्ष अष्टमी तिथि को वृषभ लग्न रोहणी नक्षत्र में बुधवार को हुआ था।
अष्टमी 11 अगस्त को सुबह 06:15 बजे से प्रारम्भ होगी जो कि 12 अगस्त को प्रातः 08:01 बजे तक रहेगी।
रोहणी नक्षत्र 12 अगस्त को रात्रि 01:30बजे से 13अगस्त रात्रि 03:14 बजे तक रहेगा!
अतः व्रत का निर्णय एकादशी की तरह गृहस्थ और वैष्णव दोनों का अक्सर भिन्न होता है । गृहस्थियों के लिए रात्रि व्यापनी अष्टमी को व्रत करने का विधान है तथा वैष्णव लोग उदय व्यापनी तिथि को ग्रहण करते है,तथा भक्त अपने भाव से नक्षत्र को भी मानकर भगवान के जन्म,उत्सव सहित तीनों दिन व्रत ग्रहण कर इस पावन उत्सव को मनाकर आनंद प्राप्त करते है, इसलिए यह स्पष्ट है कि गृहस्थियों के लिए 11 अगस्त को ही व्रत करना उत्तम है, वैष्णव,साधु,सन्त 12 को व्रत व उत्सव एक साथ करेंगे!
अभिषेक उपाध्याय ने सभी से निवेदन करते हुवे अनुरोध किया है की हमारे धर्म में हमेशा दो दो त्योहार की बात कहकर अपने धर्म पर उंगली उठाकर धर्म को अपमानित कर अपने अस्तित्व का पतन न करें। हमारा वैदिक सनातन धर्म बहुत ही गूढ़ एवं विस्तारित व विज्ञान आधारित भी है, इसको सरलता से समझने के लिए हमें अपने धर्म,अपने व्रत, त्यौहार, पर्व, उत्सव की कम से कम प्राथमिक जानकारी (कारण) अवश्य रखनी चाहिए।
हमारे धर्म में फतवा नहीं पञ्चाङ्ग जारी होता है।
मतभेद नहीं मत होते है।
आदेश नहीं अवसर होते है।
विरोध नहीं विविधता जरूर है। प्रभाव नहीं भाव होता है। अपने-अपने भाव से ईश्वर प्राप्ति की अनेक पद्धतियाँ है, किसी को भी अपनाने के लिए सभी स्वतंत्र हैं। अत: न स्वयं भ्रमित हों न किसी हो भ्रमित होने दें! अपने धर्म (अस्तित्व)की रक्षा करें!

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