आपदा को अवसर में बदल कर हुए ‘आत्मनिर्भर’रजनीश राय
- इम्यूनिटी बढाने के लिए बना रहे है आयुर्वेदिक उत्पाद

विकास राय गाजीपुर-कोरोना से उपजी चुनौतियों के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आपदा को अवसर में बदल ‘आत्मनिर्भर’ भारत अभियान के आह्वान को बलिया के युवा रजनीश राय ने अपनी लगन और परिश्रम से हकीकत का जामा पहनाकर धरातल पर उतार दिया है। रजनीश राय ने पूर्णबन्दी के दौरान अपने मस्तिष्क में पैदा हुई जिज्ञासा को आयुर्वेद के साथ मिलाकर उसे एक उद्योग का शक्ल दे दिया। अब उनकी कंपनी कोरोना काल में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए विभिन्न आयुर्वेदिक उत्पाद बाजार में उतार चुकी है।

कोरोना काल में जिस तरह से जीवन ने करवट लिया और विज्ञान ने अपने हथियार डाले, उसको देख कर ये समझ में आ गया कि पूरी मानवता प्रकृति के एक छोटे से प्रभाव को आज भी झेल पाने में नाकामयाब है। बड़े से बड़ा सिस्टम भी आज प्रकृति के इस अति सूक्ष्म प्रभाव से स्वयं को बचा पाने में सक्षम नहीं है। ऐसे में पूर्णबन्दी (लॉकडाउन) में बैठे-बैठे बलिया के उजियार गांव निवासी युवा रजनीश राय के मन में लगातार ये विचार आ रहे थे कि क्या वास्तव में सब कुछ नियन्त्रण से बाहर है या प्रयास का प्रारूप अलग है, जिसको हम लोग देख समझ नहीं पा रहे हैं ? क्योंकि प्रकृति में तो ऐसे हजारों जीवाणु और विषाणु हैं जो किसी रूप में फायदा तो किसी रूप में नुकसान पहुंचाते हैं। तो क्यों न मौजूदा माध्यमों (गूगल) का उपयोग करके इस पर मानवता की रक्षा के निहितार्थ कुछ प्रयास हम लोग भी करें और इसमें अपना योगदान दें।

रजनीश राय ने इस पर विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि मैंने मन में उठे विचारों को इको फ्रेंडली बनाने की प्रक्रिया में कुछ प्रयास शुरू किया तो रास्ते बनते चले गए। कहा कि इधर पूर्णबन्दी की वजह से वर्तमान में चल रहे काम के प्रारूप में अगले काफी समय तक स्थिति के सामान्य होने की गुंजाइश नहीं दिख रही थी और कुछ चीजों की जिम्मेदारी भी अनिवार्य रूप से थी। लखनऊ में रहने वाले और भाजपा के अनुषांगिक संगठन भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता का दायित्व निभा रहे रजनीश राय ने कहा कि वैसे तो मैं लगभग 40 दिन गांव पर रुका था। पूर्णबन्दी में अपने पास उपलब्ध सभी पुस्तकों का अध्ययन करने और उससे समय मिलने के बाद कुछ नई चीजों की खोज में समय निकल जाता था, लेकिन यहां (लखनऊ)की जिम्मेदारियां ऐसी थीं कि वो वहां भी सहज रूप से रहने नहीं दे रही थीं। अपने मित्र, बड़े भाई और व्यवसायिक सहयोगी संजीव जी से लगातार बात-चीत होती रहती थी। व्यवसाय के वर्तमान हालात और भविष्य के व्यवसाय की योजना और इस महामारी में जन सामान्य की विवशता पर लगातार मंथन होता रहा। चुकी संजीव जी का ऑर्गेनिक और प्राकृतिक चीजों पर शुरू से रुचि और क्युरिसिटी बहुत ज्यादा रहती थी और किसान मोर्चा में पदभार के साथ से ही मैं स्वयं भी ऑर्गेनिक फील्ड से जुड़े बहुत सारे लोगों के संपर्क में था। कुछ नई चीजों को दुनिया के सामने लाने के लिए संघर्ष जारी था, लेकिन बात बन पा रही थी। संजीव जी को चूंकि ऑर्गेनिक पर काफी शोधपूर्ण जानकारी थी, उनकी शोध और मेरी जिज्ञासा ने इसको मूर्त रूप देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

काढे और ग्रीन टी के लिए टेबलेट
उसी दौरन शोध में हम लोगों को ये पता चला कि जितनी आयुर्वेदिक कंपनियां हैं उनमें से ज्यादातर मोनो कल्चर पर काम कर रही हैं जबकि औयुर्वेद दो तरह से काम करता है।एक मिक्स कल्चर,दूसरा मोनो कल्चर….. तो मिक्स कल्चर पर काम कैसे हो सकता है ये एक बड़ा और अनसुलझा सवाल था। खोजबीन में पता चला कि मिक्स कल्चर पर पूरी दुनिया कुछ गिने चुने लोग ही काम कर रहे हैं। तलाश शुरू हुई तो… पूरी भी हुई और इस तरह से कुल मिलाकर आयुर्वेद में कुछ नई चीजों को लाने का हम लोगों का प्रयास सफल हो गया और हम लोग टेबलेट फॉर्म में काढ़ा, जिसको आयुष मंत्रालय भी इम्युनिटी बूस्टर के लिए लगातार सुझाव दे रहा है। टेबलेट फॉर्म में ही ग्रीन टी और तुलसी को पारा फ्री करने के साथ-साथ करक्यूमिन मिक्स करके मार्केट में उपलब्ध करा पाने में सफल हुए। वहीं नियॉन चिप के साथ सेनेटरी पैड जो पूरी तरह से eco frendly है ,पॉजिटिव बैक्टीरिया के साथ एक बॉडी प्रोटेक्टर जो किसी भी तरह के बैक्टीरिया से बाहरी तौर पर बचाव करेगी, स्किन में सोराइसिस जिसको एलोपैथी ने आलमोस्ट कैंसर डिक्लेयर कर दिया है उस पर तथा औरतों की एक बड़ी बीमारी लिकोरिया पर भी पाजिटिव बैक्टीरिया को लेकर हम लोगों के उत्पाद बहुत जल्दी मार्केट में आ जाएंगे। वैसे काढ़ा,तुलसी,ग्रीन टी,ग्रीन कॉफ़ी, सेनेटाइजर और नियॉन चिप के साथ सेनेटरी पैड लखनऊ से लेकर कानपुर, गोरखपुर, बनारस और आसपास के बाजारों में सिक्स सेंस ब्रांड के नाम से विभिन्न उत्पाद उपलब्ध करा रहे हैं।

आर्गेनिक खेती पर भी है जोर
रजनीश राय ने बताया कि हम लोग ऑर्गेनिक खेती में भी अभी तक उपलब्ध जितने भी साधन हैं, जो भी कल्चर खेत या उसमे से पैदा हुए उत्पाद को ऑर्गेनिक करने के लिए उपलब्ध हैं वो सब भी मोनो कल्चर से बनाये जा पाए हैं जिससे खेत और उसके उत्पाद को ऑर्गेनिक करने में काफी समय लग जा रहा है,इस दिशा में भी हम लोगों द्वारा किये जा रहे प्रयास से सम्भव है कि एक क्रॉप के बाद उत्पाद और खेत दोनों ही ऑर्गेनिक हो जाएं।बहरहाल कुछ नए प्रयोग से प्राप्त सफलता को जन सामान्य के लिए सुलभ करवाने की दिशा में हम लोगो का प्रयास जारी है। उसके अलावा आयुर्वेद के द्वारा कुछ अन्य दुर्लभ और असाध्य रोगों पर विशेषज्ञों द्वारा शोध जारी है। उम्मीद है कि सब कुछ ठीक रहा तो उसमें भी सफलता जरूर मिलेगी।
