रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिए आज सभी के लिए जरूरी है गिलोय-सूर्य कुमार सिंह

विकास राय-गाजीपुर। आज तेजी से फैल रहे वैश्विक कोरोना संक्रमण से निजाद के क्रम में पौराणिक एवं आयुष मंत्रालय द्वारा प्रमाणित जबरदस्त शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला गिलोय-गुडूची आयुर्वेदिक नाम अमृता बाटनिकल, टिनोस्पोरा, कार्डिफोलिया बहुत चर्चित हुआ है। सुच्य है कि आयुष मंत्रालय भारत सरकार ने मिशन गिलोय युद्ध स्तर पर शुरू करके वाराणसी-मिर्जापुर और आजमगढ़ मंडल का दायित्व काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आयुष विभाग के डीन यामिनी भूषण त्रिपाठी को सौंपा है। स्वस्थ्य स्वास्थ्य रक्षण अस्तुरस्य विकार प्रशनमच के सिद्धांत पर किसानों द्वारा आयुष्मान भारत मिशन के तहत स्वास्थ्य संरक्षण क्षमता बढ़ाते हुए इससे आर्थिक स्थितियां सुदृढ़ करने की भी सलाह दी गई है। नीम के वृक्ष स्थापित गिलोय (अमृता) को औषधीय गुणों के आधार पर सर्वोत्तम माना गया है। इसकी पहचान एक घनिष्ठ विशाल लता, जिसकी तने की छाल खुरदूरी होती है और पत्ते पान की तरह होते है। पुष्प पीले रंग व फल हरे गुच्छ में आते है, जो पकने के बाद लाल रंग के हो जाते हैं। इसका स्वाद विषक्त होता है। वहीं रासायनिक विश्लेषण पर इसमे स्टार्च ग्लाइकोसाइड, टीनोस्पोरीक अम्ल, वसा, अलकोहल, उत्पन्न तेल, प्रोटीन, कैल्शियम तथा फासफोरस पाया जाता है। इसके अतिरिक्त इसमे व्रवेरित एवं गिलोय स्टराल भी होती है। समान रूप से आमजन इसका उपयोग जिड़ज्वर, चर्म रोग, बातरोग, आमबात संधिशोध, संग्रहणी शोथ और अरक्ता व बुद्धि दुर्बलता, अर्श मूत्राशय, पथरी एवं रक्त में शर्करा, प्रसमन के रूप में करता है। विशेष रूप से बलवान बनाने के लिए गिलोय चूर्ण 10 तोला, गुड़ 10 तोला, मधु 16 तोला और शुद्ध घी 16 तोला मिलाकर 10 तोला प्रतिदिन लेने से शर्करा प्रमेह में आध्यात्मिक लाभकारी है, जिड़ज्वर और टाइफाइड (मोती-झरा) में जहां क्विनाईन इत्यादि औषधियां कुछ भी काम नहीं करती, वहां गिलोय आश्चर्यजनक फायदे पहुंचाती है। इसमें पित्त को शांत करने का गुण है और इसके सेवन से रोगो में शक्ति का संचार बहुत शीघ्रता से होता है, इसी क्रम में पुराने गठिया की बीमारी में इसका सेवन बहुत लाभकारी सिद्ध है। यह श्वेत प्रदर में शतावरी के साथ औसकर पीने से श्वेत प्रदर नष्ट हो जाता है। इसी प्रकार पागलपन में ब्राह्मी के साथ इसका क्वाथ बनाकर पीने से दिल की धड़कन व पागलपन से निजात मिलना आम बात है, गिलोय के नियमित सेवन से जहां अनेक रोगों से निजात मिलती है, वही गुड़ के साथ खाने से कब्जियत दूर होती है। मिश्री के साथ लेने से पित का कोप जहां शांत होता है, वही शहद के साथ सेवन करने से कफ विकार से मुक्ति और सोठ के साथ लेने से आम बात मिट जाता है। इसी प्रकार गोमूत्र के साथ लेने से स्लीपद (हाथी पांव) की बीमारी भी ठीक हो जाती है। इन बीमारियों में गिलोय की मात्रा रोगानुसार आयु के हिसाब से एक तोला से लेकर ढाई तोला तक निर्धारित है, मिशन गिलोय अमृता के तहत गाजीपुर के सभी 16 ब्लाकों में पांच-पांच सौ पौधों की नर्सरी, जहां तैयार होने की विस्तृत जानकारी जिला पत्रकार समिति के अध्यक्ष/प्रणेता मिशन जामवंत/कोआर्डिनेटर सूर्य कुमार सिंह ने दी है। वहीं वर्षारंभ के समय 15 जून के बाद इस गिलोय की नर्सरी अगल-बगल 20-20 गांव में उपयोगिता प्रचारित व गुणवत्ता प्रसारित कराकर प्रोफेसर यामिनी भूषण त्रिपाठी जी के सफल निर्देशन में प्रतिरोपित कराया जाना है, इस विशेष कार्यक्रम के संचालन के लिए ब्लाकवार, सहकोआर्डिनेटर, जनसंपर्क, अधिकारी और सुपरवाइजरों की मानक नियुक्तियों का कार्य प्रगति पर है। वीडियो कॉलिंग के तहत शनिवार को सभी ब्लाकों के आर्थिक, वैज्ञानिक, आयुष उत्पादो/कृषिको से संपर्क कर उनके विचार, जहां प्राप्त किए गए। वहीं औषधीय पंडित रंगबहादुर सिंह ने गिलोय (अमृता) की विस्तृत जानकारियां और औषधीय मूल्यों से विशेष रूप से अवगत कराया। इस वीडियो गोष्टी में अरविंद कुमार सिंह मनिहारी, प्रभु नारायण सिंह भदौरा, एनके राय मुहम्मदाबाद, जितेंद्र वर्मा कासिमाबाद, विकास राय बाराचवर और सोमदत्त कुशवाहा भांवरकोल सहित जिले के उत्साही औषधिय कृषकाें, फल-फूल, सब्जी उत्पादकों और बागवानी विशेषज्ञों ने अपने-अपने सार्थक एवं प्रगतिशील विचार रखें।