सत्यदेव कॉलेज में सम्पन्न हुआ आजादी का अमृत महोत्सव के साथ सत्यदेव सिंह का स्मृति समारोह

सत्यदेव कॉलेज में सम्पन्न हुआ आजादी का अमृत महोत्सव के साथ सत्यदेव सिंह का स्मृति समारोह

सत्यदेव ग्रुप ऑफ कॉलेजेज के महाविद्यालयीन परिसर में आज़ादी के अमृत महोत्सव के साथ ही कर्मवीर सत्यदेव सिंह की चौथी पुण्यतिथि का आयोजन भी संपन्न हुआ । कार्यक्रम का प्रारंभ सत्यदेव ग्रुप ऑफ कॉलेजेज की चेयरपर्सन श्रीमती सावित्री सत्यदेव सिंह ने गणेश जी के पूजन और दीप प्रज्वलन से किया । उनकी तीनों पुत्रियाँ श्रीमती शैलजा प्रतिमा और दीपशिखा सिंह तथा दोनों बहुएँ श्रीमती सुमन सिंह और डॉ प्रीति सिंह भी साथ में उपस्थित रहीं।

कार्यक्रम का प्रारंभ वन्दे मातरम और राष्ट्रवंदना से हुआ। कार्यक्रम में पधारे सच्चितानन्द राय ने अन्य गणमान्य अतिथियों के साथ भारत माता की आरती उतारी। कार्यक्रम में सत्यदेव ग्रुप ऑफ कॉलेजेज की सभी संस्थाओं के प्राचार्य और निदेशक गणों ने अपने विद्यार्थियों से अनेक रोचक, ज्ञानवर्धक और मनोरंजक कार्यक्रम सम्पन्न कराए। कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने खुलकर भागीदारी की।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि – डॉ वीना अरुण जी थीं। वह विश्व रामायण सेंटर मारीशस की अध्यक्ष हैं एवं पूर्व महासचिव विश्व हिन्दी सचिवालय मारीशस रह चुकी हैं। डॉ वीनू अरुण जी मूलतः ग़ाज़ीपुर की बेटी हैं जो अपने पति के साथ सत्तर के दशक में मारीशस जा बसीं। वहाँ पर उनके पतिदेव श्री अरुण जी ने मारीशस का अख़बार निकाला और विश्व रामायण केंद्र की स्थापना की। डॉ वीनू अरुण जी ने मारीशस में इंडोलॉजी संस्कृत और हिन्दी का अध्यापन किया। और मारीशस और भारत के द्विपक्षीय क्रम में वह विश्व हिंदी सचिवालय की पहली महासचिव बनीं। अभी भी वह अपने भारतीय परिवार से उतनी ही गहराई से जुड़ी हैं। इसी संयोग से उनका ग़ाज़ीपुर आगमन होता रहता है। उन्होंने अपने उद्बोधन में कर्मवीर सत्यदेव सिंह जी के अनेक आयामों को रेखांकित करते हुए कहा कि समाज को शिक्षित करने से बढ़कर और कोई काम नहीं है। उनको इस परिसर में आकर गहन आत्मीयता की अनुभूति हुई। उन्होंने भगवान श्रीराम के जीवन संघर्षों का बहुत सुंदर वर्णन करते हुए कहा कि संकल्प से ही क्रिया की सिद्धि होती है केवल बड़े बड़े संसाधन जुटा लेने से काम संपन्न नहीं होता। उनके आशीर्वचनों से सभी उपकृत हुए। इस अवसर पर उन्होंने सुमित्रानंदन पंत की एक कविता भी सुनायी। आज के ही दिन पंत की भी पुण्यतिथि होती है।

यह भी एक सुखद संयोग ही था कि विश्व हिंदी सचिवालय मारीशस के निवर्तमान महासचिव प्रो विनोद मिश्र भी कार्यक्रम में अपने अनुज राजेश के साथ पधारे। उन्होंने अपने वक्तव्य में साफ़ तौर पर कहा कि भारत के आर्यत्व और उसकी श्रेष्ठता को बचाने की ज़िम्मेदारी युवकों पर है। वो पढ़ेंगे तो बढ़ेंगे और अपने जीवन के साथ अपने समाज को भी गढ़ेंगे। उन्होंने अपने वक्तव्य में यह भी कहा कि पूज्य सत्यदेव सिंह ने कुछ सोचकर ही इस स्थल का नाम गाधिपुरम रखा होगा। भारतीयता के प्रति उनकी सोच बहुत दूरदर्शी थी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे – प्रो उदय प्रताप सिंह । वह हिन्दुस्तानी एकेडेमी प्रयागराज के अध्यक्ष हैं। संत साहित्य के सुधी विद्वान और मन से फ़क़ीर। जितने गहरे चिंतक उतने ही निरहंकार सरल और सहज मनुष्य। उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में यह इच्छा प्रकट की कि भोजपुरी को लेकर वह इसी परिसर में दो दिवसीय संगोष्ठी रखना चाहते हैं। इस परिसर को विश्वविद्यालय के रूप में विकसित करने की इच्छा तो कर्मवीर सत्यदेव सिंह जी को ही थी जिसे प्रो उदय प्रताप सिंह जी ने दोहराया। अपने उद्बोधन में यह भी कहा कि डॉ सानंद को किसी राजनीतिक पद पर चुनना हमारे लिए सर्वथा हितकर होगा। वह बहुत ऊर्जस्वित व्यक्ति हैं और कर्मयोगी भी हैं।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो० हरिकेश सिंह जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति रहे हैं। दोनों भाई उनके मार्गदर्शन को स्वीकार कर चलते हैं। इस आयोजन में उनका वक्तव्य ही कर्मवीर सत्यदेव सिंह के परिवार का आधिकारिक वक्तव्य था। वह शब्दों की आत्मा को पकड़ कर अर्थ को प्रतिभासित करने वाले ओजस्वी और सहज वक्ता हैं। उनका सामाजिक ज्ञान और संबंधों का सौरमंडल अतिविराट है। चूँकि वह कर्मवीर सत्यदेव सिंह के बहुत निकट रहे हैं और उनको मन से सदा स्मरण करते रहते हैं इसलिए उनमें स्निग्ध पारिवारिक रसायन है जो दोनों भाइयों को बाँध लेता है।

कार्यक्रम का संचालन हरिनारायण हरीश जी ने सदा की तरह अपनी प्रखर वाग्मिता से किया। डॉ सानंद ने अभ्यागतों का पूरे मनोयोग से ज़ोरदार स्वागत किया, सदा की तरह ओजस्वी शैली में स्वागत भाषण भी दिया और उपस्थित सभी माननीय अतिथियों को शाल पुष्पमाल्य और स्मृति चिन्ह भेंट कर मंच पर सम्मानित किया। यह परम्परा यहाँ आयोजित हरेक कार्यक्रमों में निभाई जाती है। यह मंच लोक गौरव बोध को रेखांकित करने का भी होता है अतः माननीय अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम एक बेहद ज़रूरी मर्यादा बोध की तरह सम्पन्न होता है। उन्होंने अपने स्वागत भाषण में कहा कि पूज्य पिताजी के सपनों को साकार करने के लिए वह चल रहे हैं और सहयोग देने वाले हरेक अतिथि के प्रति वह समर्पित भाव से झुके हुए हैं।

कार्यक्रम में पधारे पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह ने अपने उद्बोधन में दोनों भाइयों को इस आयोजन के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ दीं और कर्मवीर सत्यदेव सिंह को आत्मीय श्रद्धांजलि अर्पित की।

 

कार्यक्रम में आभार ज्ञापन डॉ आनंद सिंह ने किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में आज़ादी के अमृत महोत्सव के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज़ादी पक्षी की उड़ान की तरह होती है । जब तक पक्षी अपने डैने चलाता रहता है तब तक वह उड़ता रहता है। जब वह अपने पंख चलाना बंद कर देता है वह नीचे गिर जाता है। आज़ादी भी ऐसी ही चीज़ है। हमें आज़ादी के लिए सदैव जागरूक और सतर्क होना होगा। भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी ने आज़ादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत अनेक महत्वपूर्ण उद्देश्य स्थिर किये हैं जिनसे हमें जुड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि कर्मवीर सत्यदेव सिंह में शिक्षा के माध्यम से राष्ट्रीयता का गौरवबोध जगाने का प्रयत्न किया जिसकी अभी भी ज़रूरत है। इस बिंदु पर सत्यदेव सिंह का चिंतन आज़ादी के इस पर्व से जुड़ जाता है।

 

कार्यक्रम में एक काव्यपाठ भी आयोजित था जिसमें लखनऊ से पधारे कविवर सुरेश जी और तनहा जी ने मंच लूट लिया। बबुरंग जी, प्रतिभा जी और यश जी ने अपनी नयी विचारोत्तेजक कविताएँ प्रस्तुत कीं तथा अक्षय पांडे जी और रश्मि शाक्य ने अपनी मुक्तक कविताएँ तरन्नुम में सुना कर समाँ बांध दिया।

अंत में जनजातीय परिवारों के उपस्थित वृद्ध जनों को कम्बल भेंट कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम को संयोजित करने में सत्यदेव डिग्री कॉलेज के निदेशक अमित सिंह और सत्यदेव ग्रुप ऑफ कॉलेजेज के सलाहकार डॉ दिग्विजय उपाध्याय के साथ ही प्राचार्य डॉ राम चंद्र दुबे, डॉ अजित यादव, डॉ तेजप्रताप यादव, डॉ विरेंद्र सिंह, निदेशक श्री प्रमोद सिंह तथा स्टाफ़ के सभी लोग.मनिन्द्र सिंह बग्गा.कृष्णा यादव.प्रशान्त सिंह सोनू. राम जी गिरी.बासुदेव पाण्डेय. विवेक सिंह सौरभ.रविकांत राय.जनार्दन राय.सुरेन्द्र यादव पूर्व जिला पंचायत सदस्य.सत्येन्द्र यादव सदस्य जिला पंचायत.राम सागर यादव सदस्य जिला पंचायत.शुभनरायण यादव.राजेश सिंह राजू.श्रीप्रकाश राय.रामनिवास यादव पूर्व प्रधानाचार्य समेत हजारों की संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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