हिंदी वह भाषा है जिसमें पूरे देश को जोड़ने का सामर्थ है:डॉ सविता

हिंदी वह भाषा है जिसमें पूरे देश को जोड़ने का सामर्थ है:डॉ सविता
गाजीपुर। राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा हिंदी के समक्ष चुनौतियों के विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें बतौर मुख्य वक्ता प्राचार्य डॉ सविता भारद्वाज ने कहा कि हिंदी वह भाषा है जिसमें पूरे देश को जोड़ने का सामर्थ है। यह सामर्थ्य ही उसकी असल ताकत है। हिंदी के विरोधी सिर्फ गैर हिंदी भाषी नहीं है, हिंदी की रोटी खाने वाले भी हिंदी के विरोध में अपना योगदान देते रहते है और हिंदी को सबसे अधिक खतरा उन्हीं से है।
विभागाध्यक्ष डॉ संगीता मौर्य ने कहा कि हिंदी की साहित्यिक परंपरा बहुत विस्तृत एवं व्यापक है।यह भाषा भारतीय संस्कृत के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती है।संस्कृत के बाद यदि भारतीय संस्कृति की पहचान किसी भाषा में सुरक्षित है तो वह हिंदी है। उत्तर भारत में आज भी कबीर की वाणी और रामचरितमानस जितने मनोयोग के साथ पढ़ें और गुने जाते हैं उतने मनोयोग से किसी भी भाषा का साहित्य नहीं पढ़ा जाता। इसी क्रम में डॉक्टर निरंजन कुमार यादव ने कहा कि किसी भी भाषा का स्वरूप उसकी जनता तय करती हैं, इसलिए हिंदी एक वचन नहीं बहु वचन है। यह बहु वचनता ही उसकी असल ताकत है। यह बहुवचनता जब तक बनी रहेगी तब तक हिंदी बची रहेगी। हिंदी की असल ताकत उसकी बोलियां है। इसीलिए हिंदी साहित्य का स्वर्ण युग भक्ति काल है और भक्ति काल हिंदी की बोलियों का साहित्य है। डॉक्टर विकास सिंह ने कहा कि हिंदी के विद्यार्थियों को हिंदी के साथ साथ अंग्रेजी का भी ज्ञान रखना चाहिए। आने वाले समय में अंग्रेजी का वर्चस्व शासकीय कार्यों में बढ़ जाएगा। वह रोजगार की भाषा होगी और हिंदी व्यवहार की भाषा रह जाएगी।
इस अवसर पर विद्यार्थियों की तरफ़ से अनुष्का शर्मा, सौम्या मिश्रा, अर्पिता यादव, जूही शर्मा आदि ने भी अपनी रचनात्मक प्रस्तुति दी। इस अवसर पर डॉ शशिकला जायसवाल, डॉ सारिका सिंह, डॉ संतन कुमार राम, मीडिया प्रभारी डॉ शिवकुमार एवं नेहा आदि की उपस्थित रही।