बलिया में गंगा का रौद्र रूप : ताश के पत्तों की तरह बहे मकान

बलिया। गंगा की लहरें शनिवार को अचानक ही रौद्र रूप धारण कर ली। देखते ही देखते उदईछपरा गांव के करीब एक दर्जन मकान गंगा की लहरों में समा गये। लोगों के मकान उनके आंखों के सामने ही ताश के पत्तों की तरह गंगा की धारा में बिखरते चले गये। कुछ पीड़ित अपने सामानों को निकाल सकें तो कुछ सामान मकान के साथ ही गंगा की लहरों में बह गये। कटान के चलते उदई छपरा में अफरा-तफरी का माहौल कायम हो गया है। यहां न तो प्रशासन ने माकूल व्यवस्था किया है न ही जनप्रतिनिधियों की नजर पहुंच पाई है। पानी के अंदर फंसी इस आबादी में प्रकाश की कोई व्यवस्था नहीं है।
केंद्रीय जल आयोग गायघाट पर गंगा का जलस्तर शनिवार की शाम 4 बजे 60.25 मीटर दर्ज किया गया। वहीं, नदी की मचलती लहरें तांडव मचाना शुरू कर दी। शनिवार को पलक झपकते ही उदई छपरा निवासी मदन उपाध्याय, बद्रीनाथ उपाध्याय, पारस उपाध्याय, शकुंतला देवी, शंभू नाथ उपाध्याय, विशेश्वर उपाध्याय, अनिल उपाध्याय, विनोद उपाध्याय, गोपाल जी उपाध्याय, राज किशोर उपाध्याय, ललन उपाध्याय, सकलदीप सिंह, रणजीत सिंह व नंदजी सिंह की खड़े मकान गंगा की लहरों में बह गये।
ठेकेदारों व अफसरों पर कार्रवाई की मांग
परियोजनाओं को छोड़कर फरार हुए ठेकेदार व विभाग के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर क्षेत्रीय जनता अब उग्र होने लगी है। कहा कि अगर फरार ठेकेदार व यूपीपीसीएल के कर्मचारियों के खिलाफ विभाग कार्रवाई नहीं करता है तो जनता इसके लिए सड़क पर उतरने को बाध्य होगी। उधर छपरा निवासी मंटू उपाध्य, शिवजी, रामविलास व अमर संजीव तिवारी ने आरोप लगाया कि विभाग व ठेकेदारों ने सरकारी धन में जमकर लूटपाट किया है, जबकि विभाग उनके काले कारनामों पर पर्दा डाल रहा है।