मैं खुश हूं मेरे आशुंओं पर न जाना

मऊ- वैसे तो यह मुकेश जी गाना किसी जमाने में बहुत फेमस हुआ था कि “मुबारक हो सबको समां यह सुहाना मैं खुश हूं मेरे आशुओं पर न जाना”। परंतु आज अपनों के द्वारा सम्मान पाकर नवनिर्वाचित जिलापंचायत अध्यक्ष मनोज राय के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे।अवसर था भूमिहार समाज के द्वारा भूमिहार समाज के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों के सम्मान का,इस अवसर पर बोलते हुए मनोज राय जैसे ही अपने समाज के जनप्रतिनिधियों को याद करके उनको नमन किया, अपने दिल की पीड़ा जुबान और आंखों में आ गई।और यह पीड़ा स्वाभाविक थी।
एक राजनीतिक पद पाने में मनोज राय ने जितना अपने को तपाया था ,यह वह पीड़ा थी,कई बार विधायक या सांसद बनने का मौका आया तो आखिरी वक्त में तकदीर ने दगा दे दिया और वंचित रहना पड़ा।आज जो पद मिला है वह 2010 के पंचायत चुनाव में ही मिल जाता परंतु तब भाग्य को मंजूर नहीं था।और आज इतनी तपस्या के बाद जब जनपद का प्रथम नागरिक बनने का मौका मिला और जब अपने घर,परिवार और समाज के बीच सम्मान मिला तो मनोज राय के आंसू रह -रहकर आंखों की दहलीज पर आ जाते और वोट फड़फड़ाने लगता, माहौल एक पल के लिए गमगीन हो गया। वैसे तो सफलता पाने के बाद हर कोई हाथों -हाथ लेता है,लेकिन जब सफलता दिलाने वाले साथ हों और सम्मान उनके द्वारा हो तो निश्चित रूप से हर किसी का दिल पसीज जाएगा।और माहौल को संभालते हुए मनोज राय ने सभी बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया एवं युवा भाइयों को आश्वस्त किया हर कदम पर साथ रहूंगा और इशारे इशारों-इशारों में मानों महान गायक मुकेश की लाइन दुहरा रहे हों कि “मैं खुश मेरे आंशुओं पर न जाना” और संचालक ने साफ भी कर दिया यह खुशी के आंशू थे। उपस्थित लोगों की भी आंखें ख़ुशी से नम थीं।