नैनो यूरिया से अब मिट्टी की उर्वरा शक्ति कमजोर नहीं होगीःराकेश कुमार

इफको ने मुहम्मदाबाद में आयोजित की किसान गोष्ठी, किसानों में किया गया बीज का वितरण
साग-सब्जी एवं फल संरक्षण सहकारी क्रय-विक्रय समिति यूसुफपुर जनपद गाजीपुर के परिसर में बुधवार को इफको की तरफ से कृषक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें किसानो में निःशुल्क सब्जी बीज का वितरण किया गया। कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को बताया कि यूरिया के अंधाधुंध प्रयोग से अब मिट्टी की उर्वरा शक्ति कमजोर नहीं होगी। क्योकि इफको की तरफ से किसानों को यूरिया की जगह जुलाई माह से लिक्विड नैनो यूरिया मिलेगी। इसे उर्वरक के क्षेत्र में क्रांति के तौर पर देखा जा रहा है। नैनो यूरिया 45 किलो ग्राम की बोरी के स्थान पर केवल 500 मिली लीटर की एक बोतल में मिलेगी।

किसानों को सम्बोधित करते हुए इफको के मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक वाराणसी मंडल राकेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि नैनो यूरिया की 500 मिली लीटर की एक बोतल में 40 हजार पीपीएम होती है, जिसमें सामान्य यूरिया की एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पाया जाता है। पांच सौ मिली लीटर नैनो यूरिया एक एकड़ के लिए पर्याप्त है। दो एमएल प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर खेत में छिड़काव करना है। इसकी कीमत यूरिया के बैग से 10 फीसदी कम है। यूरिया के एक बैग की कीमत 266 रूपए 50 पैसे है, जबकि यह किसानों को 240 रूपए में मिलेगी। उन्होंने ने कहा कि नैनो यूरिया जुलाई माह से जिले में किसानों को इफको द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी। नैनो यूरिया के उपयोग से जल प्रदूषण नहीं होता है व फसल उत्पादन में 8 से 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी भी होती है। इसके प्रयोग से किसानों को खेती पर लागत कम आएगी। क्षेत्रीय अधिकारी आशीष श्रीवास्तव ने कहा की नैनो यूरिया को लाना, ले जाना बहुत ही आसान हो जाएगा। जितनी यूरिया कई ट्रकों पर लादकर लाई जाती थी, उतनी उर्वरा की यूरिया एक ट्रक में ही लाई जा सकेगी। यह भूमिगत जल के गुणवत्ता को सुधारने व जलवायु परिवर्तन, टिकाऊ उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव डालते हुए ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में भी अहम भूमिका निभाएगी। अध्यक्षता कर रहे डीसीएफ के चेयरमैन विजयशंकर राय ने नैनो यूरिया लांच करने के लिए इफको के प्रबंधक निदेशक यूएस अवस्थी की प्रशंसा करते हुए कहा कि खेतों में इस्तेमाल होने वाली यूरिया पानी में घुलकर जमीन के अंदर चली जाती है। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति क्षीण हो जाती है। साथ ही भूजल भी अधिक प्रदूषित होता है, जबकि फसल को यूरिया का केवल 30 से 40 प्रतिशत पोषण ही मिल पाता है। तरल नैनो यूरिया फसलों पर स्प्रे की जाएगी, जिसे पत्तों के छिद्रों से पौधा अपने अंदर लेगा, इससे पौधा खाद का 90 प्रतिशत तक उपयोग कर पाएगा। जिला पंचायत सदस्य फेंकू सिंह यादव, रामायण सिंह यादव, विनोद उपाध्याय, निशिकांत राय, रविंद्रनाथ राय, आनंद कुमार त्रिपाठी, शम्भू सिंह अकेला, बलिराम पटेल ने भी अपना विचार व्यक्त किया।