योग्यता प्रोफेसर की किंतु पूर्ण नेत्रहीन युवा बुन रहा कुर्सी।
सामाजिक कार्यकर्ता ने विकलांग जन अधिनियम पर उठाया सवाल। मामला भेजेंगे प्रधानमंत्री तक।

वाराणसी के निवासी रवि कुमार जन्मजात 100% नेत्रहीन होने के बाद भी काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत वे नेट एवं जेआरएफ क्वालीफाई हैं।
कई बार प्रयास करने के बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिली।
रवि अगरबत्ती मोमबत्ती बनाने के साथ-साथ कुर्सी एवं चारपाई बुन कर अपनी जीविका चला रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता ने बढ़ाया हौसला-
समग्र विकास इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्रज भूषण दुबे जब रवि से मिलने शनिवार को वाराणसी गए तो वे शहर के गुरुधाम कॉलोनी में एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर के घर कुर्सी बुन रहे थे

आंखों से 100% नेत्रहीन रवि के हाथ काफी तेजी से चल रहे थे संपूर्ण तन्मयता से कुर्सी बनते हुए उन्होंने कहा कि पिछले और इस बार के लाख डाउन में वे काफी आहत हुए हैं किंतु साहस नहीं छोड़े।
रवि ने कहा की अभाव में उच्च शिक्षा प्राप्त कर लिया लेकिन नौकरी अभी तक नहीं मिल पाई विवशता में हाथों के हुनर को संवारते हुए पसीना बहा रहा हूं जिससे दो जून की रोटी मिल जा रही है।
2014 में मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद कुछ आशा जगी थी और उन्होंने विकलांग के लिए दिव्यांग शब्द दिया तब लगा था कि हमारे जैसे हुनरमंद लोग बेरोजगार नहीं रहेंगे किंतु अफसोस।
ब्रज भूषण दुबे ने सामाजिक कार्यकर्ता शोभनाथ यादव, सत्य प्रकाश मालवीय एवं अनुज तिवारी समग्र विकास इंडिया के व्याख्याता गुल्लू सिंह यादव के साथ ना केवल रवि का हौसला बढ़ाया बल्कि पूरा मामला पीएमओ से लेकर उचित माध्यम तक भेजने का संकल्प भी लिया।