March 26, 2025

गंगा भारतीय संस्कृति की जीवनधारा, अध्यात्म और संस्कृति की संवाहिका है-राजेश शुक्ला

” नमामि गंगे ने गंगा की निर्मलता के लिए लोगों को किया जागरूक”

गंगा निर्मलीकरण अभियान के तहत नमामि गंगे ने वाराणसी के गंगा घाटों पर लोगों को गंदगी न करने का आग्रह किया । पॉलिथीन मुक्त गंगा का आवाह्न किया गया । नागरिकों को ताकीद की गई कि गंगा में किसी भी जीव के शव का प्रवाह न करें । ध्वनि विस्तारक यंत्र से संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि गंगा भारतीय संस्कृति की जीवनधारा है तथा अध्यात्म और संस्कृति की संवाहिका है। हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती हैं। गंगा और हमारी संस्कृति एक दूसरे पर आधारित है। इनको अलग नहीं किया जा सकता है। ये एक दूसरे के पूरक हैं। इनका अस्तित्व एक दूसरे पर निर्भर है। मां गंगा का शुद्ध होना हमारे पर्यावरण की स्वच्छता का महत्वपूर्ण मापदंड है। गंगा, पर्यावरण ओर संस्कृति का संरक्षण और संर्वधन हमारे देश के विकास का मार्ग है। गंगा के साथ हमारा सानिध्य समावेशी संस्कृति का परिचायक हैं। गंगा की पवित्रता, निर्मलता और अविरलता सदैव जीवन में मार्गदर्शन और प्रेरणा के स्रोत रहे हैं । मां गंगा का देश के सामाजिक सद्भाव में भी महत्वपूर्ण स्थान है । गंगा से कोई एक समुदाय या संप्रदाय विशेष का जुड़ाव नहीं है, बल्कि समाज के सभी वर्ग के लोग किसी न किसी रूप में गंगा से अपना जुड़ाव देखते हैं। गंगा भारतीय संस्कृति की संवाहिका है। गंगा के प्रति अनुराग देश में ही नहीं विदेश में भी दिखता है। गंगा और सहायक नदियों का क्षेत्र देश के 11 राज्यों पर है। यहां देश की 43 फीसद आबादी रहती है। इसलिए गंगा की स्वच्छता जरूरी है। इसी में गंगा की स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का लक्ष्य भी जुड़ा है। इसके लिए 2015 में नमामि गंगे योजना शुरू की गई। सरकार द्वारा शुरू किए गए कार्य की अच्छे परिणाम भी आए हैं।घाटों की सफाई से न सिर्फ गंगा स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण को बल मिला है, बल्कि स्वच्छ और सुंदर घाट पर्यटकों को भी लुभाएंगे। गंगा को निर्मल, स्वच्छ और अविरल बनाना केवल सरकारों का दायित्व नहीं, बल्कि सभी देशवासियों का है। भारत के प्रत्येक नागरिक को स्वच्छ और निर्मल गंगा तथा पर्यावरण संरक्षण में अहम योगदान देना होगा।

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