कर्म फल को भगवान के चरणों में अर्पित करना ही परम धर्म है : त्रिदंडी स्वामी
- गोड़उर में गंगापुत्र श्रीलक्ष्मीनारायण त्रिदंडी स्वामी की चल रही है कथा

गाजीपुर। गंगापुत्र श्रीलक्ष्मीनारायण त्रिदंडी स्वामी महाराज ने कहा कि मानव का कर्म ही उसको देवता या दानव बनाता है। वे गोड़उर में बुधवार को कथा के दौरान बोल रहे थे।
त्रिदंडी स्वामी ने कहा कि ‘कर्मो वै धर्म….’, जो वेद, पुराण व शास्त्र कर्म करने के लिए कहता है, वही धर्म है। जो महात्मा तप व योग करके जिस पद को प्राप्त करते हैं। उन्होंने कहा कि गृहस्थ आश्रम में भगवान का स्मरण करते हुए कर्म व कर्म के फल को भगवान के चरणों में अर्पित करना ही परम धर्म है। जिससे वो मुक्ति को प्राप्त हो जाते हैं। विशाल पंडाल में जुटे श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए त्रिदंडी स्वामी ने कहा कि कलयुग में भक्ति, ज्ञान व वैराग्य को पुष्ट करने वाली कोई कथा है, तो वो है भागवत महा पुराण। भगवान के अवतारों का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान के चौबीस प्रमुख अवतार हैं। हम सब मरने वाले मनुष्यों को अपने आचरण व्यवहार द्वारा शिक्षा देने के लिए ही भगवान का धरती पर अवतार होता है। साथ ही संतो को दर्शन देने के लिए भगवान आते हैं। त्रिदंडी स्वामी ने श्रद्धालुओं से 21 फरवरी को लक्ष्मीनारायण महायज्ञ की कलश यात्रा व 26 फरवरी को पूर्णाहुति में अधिक संख्या में भाग लेने की अपील की। इस अवसर पर माधव राय, बबलू राय, प्रताप मिश्रा, दिनेश राय, पंकज राय, महेश गुप्ता, अविनाश व वकील समेत ढेर सारे लोग उपस्थित थे।