पहली बार विद्युत इंजन से शुरू हुआ ताड़ीघाट ट्रेन का परिचालन, दीपक सिंह ने किया जोरदार स्वागत

पहली बार विद्युत इंजन से शुरू हुआ ताड़ीघाट ट्रेन का परिचालन, दीपक सिंह ने किया जोरदार स्वागत
ग़ाज़ीपुर। दानापुर मंडल के दिलदारनगर – ताड़ीघाट रेल खंड पर सन 1880 के बाद पहली बार विद्युत इंजन से ताड़ीघाट ट्रेन का सोमवार से परिचालन शुरू होने से यात्रियों में हर्ष था। इस रेलमार्ग का विद्युतीकरण कार्य पूरा हो जाने के बाद बीते 14 अगस्त 2020 को रेल संरक्षा आयुक्त पूर्वी परिमंडल एएम चौधरी ने निरीक्षण कर बिजली इंजन से ट्रेन के परिचालन को हरी झंडी दी गई थी। कोरोना संक्रमण के कारण बीते 22 मार्च से पैसेंजर ट्रेन का परिचलन बंद हो गया था।कोविड-19 के दस महीनों के बाद यात्रियों से भरी स्पेशल पैसेन्जर ट्रेन ने ब्रांच लाइन पर रफ्तार को आगे बढाया घने कोहरे के बावजूद ट्रेन अपने निर्धारित समय से महज दस मिनट लेट पहुंची ।ताडीघाट स्टेशन पर अपने निर्धारित समय 9 बजकर 5 मिनट से दस मिनट लेट 9 बजकर 15 मिनट पर पहुंची जहाँ पहले से ही ट्रेन के इंतजार में फूल माला मिठाई लेकर खडे मेदनीपुर के निर्तमान प्रधान दीपक सिंह अपने दर्जनों सहयोगियों संग लोकोपायलट के शर्मा, गार्ड केडी रंजन, टी आई दिलदारनगर संजय कुमार, स्टेशन अधीक्षक सुजित कुमार सहित अन्य लोगों को बुके माला पहना व मिठाई खिला उनका अभिवादन किया।दीपक सिंह ने कहा कि आज क्षेत्रीय लोगों के द्वारा दिए गये सहयोग व संघर्ष की बदौलत ही यह सफलता मिली है, कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण ट्रेन बन्द होने से यात्रियों को काफी परेशानियों से जूझना पड रहा था वहीं अब जहाँ सहूलियतें होगी वहीं दुकानदारों, टैम्पों चालकों ,मजदूरों, सहित अन्य लोगों आर्थिक आय बढोत्तरी में मदद मिलेगी जिसके कारण पिछले दस महीनों से आर्थिक संकट को पुन: पटरी पर लाने में मदद मिलेगी, दीपक सिंह ने कहा कि वह जनसमस्याओं को लेकर हमेशा मुखर रहे है आगे भी कहीं जरूरत पडने पर वह जनसमस्याओं को लेकर सतत् प्रयासरत रहेगें । इस अवसर पर मुन्ना सिंह, बाबूलाल चौधरी, प्रेम यादव,भावेष पांडेय, सतेन्द्र सिंह, नीरज सिंह,सुरेश यादव, छठ्ठू गुप्ता, बिन्दु राम,गुड्डू सिंह आदि भारी संख्या में लोग मौजूद रहे ।कोलकाता से गंगा नदी पर जहाजों के माध्यम से माल परिवहन के उद्देश्य से दिलदारनगर-तारीघाट रेलखंड का निर्माण ब्रिटिशकाल में 1880 में किया गया था। इसके बाद भाप इंजन से ट्रेन का परिचालन शुरू हुआ लेकिन वर्ष 1990 में इस रेलखंड को छोटी लाइन से बड़ी लाइन में परिवर्तित किया गया तो भाप इंजन की जगह डीजल इंजन ने ले लिया। अब तीन दशक बाद इस रेल मार्ग पर डीजल इंजन की जगह इलेक्ट्रिक इंजन ने ले लिया। इस रेल मार्ग पर इलेक्ट्रिक इंजन से पैसेंजर ट्रेन का चलना लोगों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं है। हालांकि, यह आश्चर्य जनक कार्य का पूरा श्रेय तत्कालीन रेल राज्य मंत्री को जाता है, उनके प्रयास ने ही रेलवे के नक्शे में उपेक्षित इस रेल मार्ग को मुख्य रेल मार्ग से जोड़ दिया है। आने वाले दिनों में इस रेल मार्ग पर मेल व एक्सप्रेस ट्रेनें भी दौड़ने लगेगी।

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