यूथ रूरल एंटरप्रेन्योर फाउंडेशन द्वारा प्रस्तावित “सेंटर फॉर एक्सेलंस” की स्थापना के संदर्भ में संजय राय ने क्या कहा

हर हाथ में काम हर जेब में दाम
‘यूथ रूरल एंटरप्रेन्योर फाउंडेशन’ द्वारा प्रस्तावित “सेंटर फॉर एक्सेलंस” युवाओं, किसानों और बेरोजगारों के लिए अद्यतन तरीके से एकीकृत खेती और पशुपालन करने का मौका, बेरोजगारों को अपने ही गाँव और अपने ही राज्य में सरल तरीके से स्व-रोजगारी का अवसर, तथा माँग आधारित कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से विविध रोजगारो के लिए अपने राज्य से कौशल कारीगरों को शिक्षित करके अलग-अलग रोजगारी की सुविधा प्रदान करने हेतु तैयार करना । जिसकी वजह से हमारे किसान मजबूत होंगे और युवाओं को आत्मनिर्भरता के जरिए रोजगारी प्राप्त होगी, गाँवों से युवाओं का पलायन रोकने का हमारा लोकोपकारक प्रयास सफल होगा |
‘सेंटर फॉर एक्सेलंस’ के द्वारा किसानों और युवाओं को उत्तम एवं नई तकनीक के माध्यम से मुख्य चार योजनाओं के द्वारा आत्मनिर्भर बनाने का प्रयत्न किया जाएगा ।
पहली योजना है “कौशल प्रशिक्षण” यानी युवाओं के कौशल को, टैलेंट को बेहतर करना। प्रशिक्षण देना, सिखाना और युवाओं को बेहतर बनाना। हम कौशल प्रशिक्षण भी अलग तरीके से करेंगे। कौशल प्रशिक्षण देने से पहले हम जॉब तय कर लेंगे, उसके बाद ट्रेनिंग देंगे। अक्सर यह होता है कि लोग प्रशिक्षण लेकर जॉब खोजते हैं। हम इसका विपरीत करेंगे। हम पहले जॉब की गारंटी देंगे, फिर उसके लिए युवाओं को प्रशिक्षण देंगे। फाउंडेशन के पास ऐसे काम का डाटाबेस पहले से होगा कि किस कार्य के लिए कितने लोग चाहिए, जिले की खासियत के हिसाब से प्रशिक्षण देंगे। हर जिले में कुछ न कुछ खास कौशल वाले लोग होते हैं। हम उन्हें पहचानेंगे और युवाओं को उन्हीं कौशल के बारे में प्रशिक्षण देंगे ताकि उन्हें आसानी से स्थानीय रोजगार मिल सके।
दूसरी योजना है “एकीकृत खेती” यानी “जीरो बजट” खेती। अगर हम इंटीग्रेटेड एग्रीकल्चर करते हैं, तो केवल खेती ही नहीं करेंगे बल्कि इसके साथ ही पशुपालन भी करेंगे। इसके तहत हम केवल फसलें ही नहीं उगाएंगे, बल्कि पशुओं के लिए सस्ता चारा भी उगाएंगे, तो कॉस्ट ऑफ़ प्रोडक्शन अपने आप कम होते ही प्राफिट बढ़ने लगेगा। हमारा एंटरप्रेन्योरशिप का टारगेट है गांव के यूथ का इनकम बढ़ाना। इस तरह के छोटे-छोटे प्रयोगों से ही हम गांव के यूथ की इनकम बढ़ाना चाहते हैं। हम देश में पहले हैं जो कृषि में डाटा साइंस का प्रयोग करेंगे क्योंकि आप डाटा के बिना उत्तम तरीके से खेती नहीं कर सकते। डाटा साइंस में इतनी डिटेलिंग होती है कि किसान को पता चल जाएगा कि मेरे एक एकड़ के खेत में कौन सा पौधा है जिसकी सेहत कमजोर है। डाटा साइंस में हम एक-एक पौधे की बात कर सकते हैं। किसान को एक स्क्वायर मीटर पर सेटेलाइट से डाटा मिलेगा कि पौधे की स्थिति क्या है। डाटा साइंस का सिस्टम बताएगा कि पौधे में किस चीज की कमी है।

• तीसरी योजना है “पशुपालन” वो भी नई तकनीक से। युवाओं को प्रजेंटेशन करेंगे और समझाएंगे कि कैसे प्रशिक्षण द्वारा नए जमाने के लिहाज से पशुपालन, मछली पालन करना है ताकि वह आसान हो, कम जगह और कम संसाधन में हो जाए और अधिक प्रॉफिट भी दे। इसमें पुनः चक्रीय आधारित मछली पालन, फ्री रेंज मुर्गी पालन, अच्छी नस्ल की गाय – भैंस पालन, फ्री रेंज बकरी पालन सभी शामिल हैं, लेकिन बहुत ही आधुनिक सोच के साथ। हमारे फाउंडेशन का प्लान है कि पशुपालन अगर खेती के साथ किया जाए, तो फायदा अधिक होता है। आसान भाषा में – खेती भी करें और पशुपालन भी, तो एक साथ कई फायदे हो सकते हैं। खेती के साथ पशुपालन का मतलब है कि अगर किसी किसान के पास एक एकड़ खेती है, तो वह 20 प्रतिशत जमीन पर चारा लगाए, जैसे मोरिंगा या नैपियर घास। नैपियर घास में बहुत प्रोटीन होता है। इसको खिलाने से पशुओं का दूध और पक्षियों का वजन जल्दी बढ़ता है। किसान अपनी 20 प्रतिशत जमीन पर मौसमी फल, सब्जी तथा अनाज की पैदावार करे। 20 प्रतिशत पर पॉलीहाउस लगाए, 20 प्रतिशत पर मछली पालन करे और बाकी बची 20 प्रतिशत जमीन पर मुर्गी पालन करे। यही है नए तौर तरीकों से पशुपालन। खेती की खेती और साथ में पशुपालन से भी फायदा।

चौथी योजना है “मेरा रोजगार” हमारे यूथ एंटरप्रेन्योर फाउंडेशन का एक बड़ा काम है, युवाओं को रोजगार प्रदान करना। अधिकांश युवा ऐसे भी होते हैं, जो स्वरोजगार करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें कोई रास्ता दिखाने वाला नहीं होता है। मेरा रोजगार में फाउंडेशन की यही योजना है कि वह युवाओं का गाइड बने, उन्हें रास्ता दिखाए और मदद करके मंजिल तक पहुंचाए। जो आदमी मुर्गी नहीं पालेगा, मछली नहीं पालेगा, खेती नहीं करेगा तो उसके लिए भी हमारे पास उपाय है। हमारे सेंटर फॉर एक्सीलेंस में जो आएगा, उसे फाउंडेशन काम देकर ही भेजेगा, ये तय है। मेरा रोजगार में हम स्मार्ट स्ट्रीट वेंडर पर फोकस कर रहे हैं। हम साइकिल रिक्शा पर, ई रिक्शा पर, साइकिल पर मोबाइल दुकान।

कार्ट बनवाकर देंगे। एक चलती फिरती दुकान लगाने की पूरी फैसिलिटी हम बहुत सस्ते भाव में उपलब्ध कराएंगे। हम ये योजना सरकारी योजना से जोड़कर देंगे ताकि युवाओं को आसानी से फाइनेंस भी मिल सके और हमारी मदद से बनी बनाई मोबाइल कार्ट भी। अब युवा कहीं भी साइकिल या ई-रिक्शा कार्ट लगा सकता है मसलन साइकिल पर नाई की दुकान, साइकिल पर चाय की दुकान, साइकिल पर कपड़े की ठेले पर चाय-नाश्ते की दुकान, ई-रिक्शा पर घूम-घूमकर सब्जी बेचे। हर गांव में लोगों को सामान खरीदना ही होता है, यह मानव जीवन की जरूरत है। गांव-कस्बे के चौराहे पर चाय उसे पीनी ही है, सब्जी भी लेनी है, बाल कटवाने है, शेव करानी है, कपड़े खरीदने है, गृहस्थी का और सामान भी खरीदना है। अभी गांव की इस इकॉनमी का बड़ा फायदा शहर का बाजार उठाता है। हमारे फाउंडेशन का प्लान है कि गांव की इकॉनमी अगर गांव में रहेगी, तो गांव की तरक्की होगी।

समर्थन मूल्य की गारंटी (हैंडहोल्डिंग समर्थन): फाउंडेशन का कॉन्सेप्ट है “फ्रोम फिल्ड – ग्रो – एग्रीगेट – सेग्रीगेट – पैक – शिप – फोर्क” खेत में उगाने से घर की रसोई तक। यानी के पौधा लगाने से लेकर बेचने तक तथा आपके बैंक में भुगतान ऊंचे दाम से मिले वो संस्था सुनिश्चित करेगी । जितने भी उत्पादन हों वह मूल्य संवर्धन के साथ बाजार में जाए। इसके लिए इ-कॉमर्स प्लेटफार्म www.4youths.com बनाया गया है, जिसमें खरीदने वाले / बेचने वाले | सर्विस प्रोवाइडर / वैज्ञानिक एवं आर्थिक गतिविधि मोबाइल / कंप्यूटर एप्लीकेशन आधारित उपलब्ध होगी।
खेती और पशुपालन को विज्ञान और तकनीक के माध्यम से अद्यतन रूप से किया जाएगा, जरुरी शिक्षण, बीज- खाद जैसी प्राथमिक सुविधाएं, आर्थिक सुविधाएं और कौशल प्र-शिक्षको का प्रबंधन एवं मार्गदर्शन, एक्सेलंस सेंटर के द्वारा स्थानिक भाषा में किया जाएगा । एकीकृत खेती के माध्यम से किसानों को अपनी वार्षिक आय को तीन से पांच गुना ज्यादा करने का मौका मिलेगा ।
“सेंटर फॉर एक्सेलंस” का भूमिपूजन तथा बेरोजगारी से स्वरोजगार पर आधारित लघु फिल्म “एक नई दिशा” का विमोचन राज्य के गाजीपुर जिले में 16 फरवरी, 2021 को होगा, जो लाखों किसानों एवं युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने का निर्धार है।