उत्तर प्रदेश विधान परिषद के गठन का स्वरूप,संरचना ,कार्यकाल ,निर्वाचन, योग्यताएं ।

विधान परिषद कुछ भारतीय राज्यों में लोकतंत्र की ऊपरी प्रतिनिधि सभा है। इसके सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं। कुछ सदस्य राज्यपाल के द्वारा मनोनित किए जाते हैं। विधान परिषद विधानमंडल का अंग है। आंध्र प्रदेशबिहारकर्नाटकमहाराष्ट्रजम्मू कश्मीरतेलंगाना और उत्तर प्रदेश के रूप में, (भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश)(इकतीस में से) छः राज्यों में विधान परिषद है। इसके अलावा, राजस्थानअसमओडिशा को भारत की संसद ने अपने स्वयं के विधान परिषद बनाने की मंजूरी दे दी है।

 

गठन

संविधान के अनुच्छेद 169,171(1) एवं 171(2) में विधान परिषद के गठन का प्रावधान है। इसकी प्रक्रिया निम्न प्रकार है:

  1. विधानसभा में उपस्थित सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से पारित प्रस्ताव को संघीय संसद के पास भेजा जाता है।
  2. तत्पश्चात अनुच्छेद 171(2) के अनुसार लोकसभा एवं राज्यसभा साधारण बहुमत से प्रस्ताव पारित करती है।
  3. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हेतु इस प्रस्ताव को उनके पास प्रेषित(भेजना) कर दिया जाता है।
  4. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही विधान परिषद के गठन की मंजूरी मिल जाती है।[1]

सदस्य कार्यकाल

इसके सदस्यों का कार्यकाल छह वर्षों का होता है लेकिन प्रत्येक दो साल पर एक तिहाई सदस्य हट जाते हैं। एक राज्य के विधान सभा (निम्न सदन) के साथ इसके विपरीत, विधान परिषद (उच्च सदन) में एक स्थायी निकाय है और भंग नहीं किया जा सकता है,[2] विधान परिषद का प्रत्येक सदस्य (एमएलसी) 6 साल की अवधि के लिए कार्य करता है। एक परिषद के सदस्यों में से एक तिहाई की सदस्यता हर दो साल में समाप्त हो जाती है। यह व्यवस्था राज्य सभा, के सामान है

संरचना

राज्य की विधान परिषद का आकार राज्य की विधान सभा में स्थित सदस्यों की कुल संख्या के एक तिहाई से अधिक नहीं और किसी भी कारणों से 40 सदस्य से कम नहीं हो सकता

निर्वाचन

  • परिषद के लगभग एक तिहाई सदस्य विधान सभा के सदस्यों द्वारा ऐसे व्यक्तियों में से चुने जाते हैं जो इसके सदस्य नहीं हैं।
  • एक तिहाई (1/3) निर्वाचिका द्वारा, जिसमें नगरपालिकाओं के सदस्य, जिला बोर्डों और राज्य में अन्य प्राधिकरणों के सदस्यों सम्मलित हैं, द्वारा चुने जाते हैं।
  • एक बटा बारह (1/12) का चुनाव निर्वाचिका द्वारा ऐसे व्यक्तियों द्वारा किया जाता है जिन्होंने कम से कम तीन वर्षों तक राज्य के भीतर शैक्षिक संस्थाओं (माध्यमिक विद्यालयों से नीचे नहीं) में अध्यपन में लगे रहे हों।
  • अन्य एक बटा बारह (1/12) का चुनाव पंजीकृत स्नातकों द्वारा किया जाता है जो तीन वर्ष से अधिक समय पहले पढ़ाई समाप्त कर लिए हैं।
  • शेष सदस्य राज्यपाल द्वारा साहित्यविज्ञानकला, सहयोग आन्दोलन और सामाजिक सेवा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों में से नियुक्त किए जाते हैं।

योग्यताएं

एमएलसी बनने हेतु योग्यताएं:

  1. भारत का नागरिक होना चाहिए।
  2. कम से कम 30 साल की आयु होनी चाहिए।
  3. मानसिक रूप से असमर्थ, व दिवालिया नहीं होना चाहिए।
  4. इसके अतिरिक्त उस क्षेत्र (जहाँ से वह चुनाव लड़ रहा हो) की मतदाता सूची में उसका नाम भी होना आवश्यक है।
  5. समान समय में वह संसद का सदस्य नहीं होना चाहिए।

उत्तर प्रदेश विधान परिषद

उत्तर प्रदेश विधान परिषद उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के द्विविकसित विधानमंडल के ऊपरी सदन है।
उत्तर प्रदेश विधान परिषद या उत्तर प्रदेश लेजिस्लेटिव काउंसिल, उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के द्विमासिक विधानमंडल का ऊपरी सदन है। उत्तर प्रदेश भारत के छः राज्यों में से एक है, जहां राज्य विधानमंडल द्विगुणित है, इसमें दो सदन शामिल हैं: विधान सभा (लेजिस्लेटिव असेंबली) और विधान परिषद (लेजिस्लेटिव काउंसिल)। विधान परिषद एक स्थायी सभा है, इसमें 100 सदस्य हैं।

उत्तर प्रदेश विधान परिषद के गठन का स्‍वरूप

विधान परिषद मे कुल स्‍थानों की संख्‍या- 100

क्र0सं0 क्षेत्र सदस्‍य संख्‍या
1 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र 38
2 स्‍थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र 36
3 शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र 08
4 स्‍नातक निर्वाचन क्षेत्र 08
5 मनोनीत 10

                                     कुलयोग-  100

    

           

गा़ज़ीपुर

ग़ाज़ीपुर के वर्तमान एम एल सी विशाल सिंह चंचल हैं। और उनका कार्यकाल  07 मार्च, 2022 तक है।

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