राष्ट्रीय चिति के सृजन में लोक संस्कृति की प्रासंगिकता संगोष्ठी का आयोजन

राष्ट्रीय चिति के सृजन में लोक संस्कृति की प्रासंगिकता संगोष्ठी का आयोजन

 

कर्मवीर सत्यदेव सिंह के छठवें पुण्यतिथि पर दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन

गाजीपुर जनपद के सत्यदेव ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेस के तत्वावधान में संस्थाओं के जनक और संस्थापक कर्मवीर सत्यदेव सिंह की पुण्यतिथि प्रत्येक वर्ष 28 दिसंबर को मनाया जाता है । संस्थान के अंतर्गत सत्यदेव कॉलेज आफ फार्मेसी गाज़ीपुर, सत्यदेव डिग्री कॉलेज गांधीपुरम गाजीपुर, डॉ राम मनोहर लोहिया डिग्री कॉलेज अध्यात्म पुरम ढोटारी गाज़ीपुर द्वारा दो दिवसीय 27 दिसंबर तथा 28 दिसंबर को एक विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।27 दिसंबर 2023 को उसी क्रम में राष्ट्रीय संगोष्ठी “राष्ट्रीय चिति के सृजन में लोक संस्कृति की प्रासंगिकता” नामक विषय पर आयोजन किया गया ।

इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि के रूप में जनपद गाजीपुर के प्रबुद्ध जनों में से एक तथा संघ की जड़ों को गहराई से अनुभूति करने वाले सच्चिदानंद राय चाचा थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता रविंद्र नाथ टैगोर की कर्मभूमि शांति निकेतन जो साहित्य कला का विश्व व्यापी क्षेत्र है उस हिंदी विश्व भारती शांति निकेतन के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सुभाष चंद्र राय ने किया ।

 

विशिष्ट अतिथि के रूप में देवघर झारखंड महाविद्या फाउंडेशन से जुड़े हुए समाजसेवी अलख निरंजन शर्मा थे। मंच पर विशिष्ट अतिथिगण के रूप मे महिला महाविद्यालय गाजीपुर के इतिहास विषय की विभाग अध्यक्ष डॉक्टर सारिका सिंह, प्रेसीडियम स्कूल गाज़ीपुर के प्रबंधक एवं मुख्य वक्ता श्री माधव कृष्ण जी, प्रोफेसर निरंजन जी, प्रोफेसर संतोष सिंह जी इत्यादि उपस्थित थे। मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि गण तथा सभी मंचासिन प्रबुद्ध गण को स्मृति चिन्ह प्रदान कर संस्थान के मुख्य प्रबंध निदेशक प्रोफेसर आनंद सिंह तथा संस्थान के प्रबंध निदेशक प्रोफेसर सानंद सिंह के द्वारा सम्मान किया गया । सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत प्रस्तुत करने के पश्चात सत्यदेव डिग्री कॉलेज के प्राचार्य डॉ रामचंद्र दुबे जी द्वारा स्वागत भाषण प्रस्तुत किया गया।तत्पश्चात सत्यदेव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी तथा सत्यदेव डिग्री कॉलेज के विद्यार्थियों द्वारा उपरोक्त विषय पर अभिव्यक्ति दी गई ।

इसी क्रम में सर्वप्रथम संतोष सिंह जी ने लोक साहित्य एवं लोक संस्कृति की अमरता को उजागर करते हुए गाना गया “हम उसे देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है”। प्रोफेसर निरंजन ने राष्ट्रवाद शब्द को बताया कि यह शब्द सर्वप्रथम जननायक पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी द्वारा प्रयोग किया गया था। उन्होंने राष्ट्रीय चिति को परिभाषित करते हुए कहा कि राष्ट्र वह है जो राम सीता के लिए अपनी मर्यादा की मूल्य को मजबूत करते हुए रावण पर विजय हासिल की। डॉक्टर रामनारायण तिवारी जी ने लोक में जाति को ध्यान रखते हुए बताया कि राष्ट्रीय चेतना मे जाति प्रथा भी एक बहुत बड़ी रुकावट होती है जिसे हम सब का कर्तव्य है की जाति प्रथा से ऊपर उठकर हम राष्ट्र हित में सोचें यही सच्ची राष्ट्र चेतना है।झारखंडे पांडे ने “माटी हमारी पूजा माटी हमारा चंदन है” गाना सुना कर सभी विद्यार्थियों को राष्ट्रीय चिति में लोक साहित्य के महत्व को प्रस्तुत किया । आध्यात्मिकता के सागर को अपने हृदय में समेटे हुए माधव कृष्ण ने अतिथि देवो भव: को सबसे सशक्त लोक संस्कृति का आधार मानते हुए उन्होंने राष्ट्र निर्माण पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि एक शब्द है सच्चिदानंद अर्थात सत चित आनंद जो राष्ट्रीय चेतना का अक्षय स्रोत है । बाबा बैद्यनाथ की धरती से विशिष्ट अतिथि के रूप में मंचासीन अलख निरंजन शर्मा ने राष्ट्रीय चेतना को जगाने तथा उसको मजबूत बनाने के लिए लोक साहित्य और लोक संस्कृति को सबसे मजबूत एवं सफलतम कड़ी बताया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का आकर्षक संचालन सत्यदेव ग्रुप आफ कॉलेजेस के प्रबंध निदेशक प्रोफेसर सानंद सिंह तथा शिवांगी सिंह ने किया ।कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित सच्चिदानंद राय चाचा ने अपने सार गर्भित भाषण में राष्ट्रीय चेतना के सृजन में लोक संस्कृति की प्रासंगिकता को बहुत ही गहराई से प्रस्तुत किया।

 

राष्ट्र को परिभाषित करते हुए उन्होंने बताया कि राष्ट्र वही है जो राष्ट्रीय चेतना से परिपूर्ण है अन्यथा वह राज्य मात्र है। तत्पश्चात कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अलख निरंजन शर्मा जी ने उपरोक्त विषय पर अपनी अभिव्यक्ति कर मन मस्तिष्क में राष्ट्रीय चेतना के प्रति लोक संस्कृति का योगदान एवं उसका समय-समय पर समर्पण को बहुत ही सहजता से चित्रित किया। उन्होंने बताया कि हम भारतीय लोग वसुधैव कुटुंबकम में विश्वास रखते हैं और वही हमारी पहचान है तथा यही हमारी लोक संस्कृति है। कार्यक्रम के अंत में सत्यदेव ग्रुप का कॉलेजेस के मुख्य प्रबंध निदेशक अथर्वा के जनक, हिंदी साहित्य के जगत में स्वर्णिम सवेरा अपनी कलम में समेटे हुए प्रोफेसर आनंद सिंह ने अतिथेय के रूप में राष्ट्र चिति के सृजन में लोक संस्कृति की प्रासंगिकता को बहुत ही आसानी से स्पष्ट शब्दों में प्रस्तुत किया साथ ही सभी अतिथि गणों का हृदय से आभार जताया तथा उन सभी से कुछ सीखने को मिला उसके लिए उन्होंने सहृदय धन्यवाद दिए।

 

इस कार्यक्रम में सत्यदेव ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेस के काउंसलर दिग्विजय उपाध्याय , सत्यदेव डिग्री कॉलेज के निदेशक अमित रघुवंशी, सत्यदेव ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेस के अभिन्न शुभचिंतक मनिंदर सिंह बग्गा, सत्यदेव डिग्री कॉलेज के प्राचार्य डॉ रामचंद्र दुबे, सत्यदेव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी के प्राचार्य डॉक्टर तेज प्रताप सिंह, सत्यदेव आईटीआई के प्राचार्य इंजीनियर सुनील कुमार यादव, सत्यदेव इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी कॉलेज के प्राचार्य इंजीनियर अजीत कुमार यादव, सत्यदेव नर्सिंग एवं पैरामेडिकल कॉलेज के प्राचार्य राजकुमार त्यागी ,सत्यदेव इंटरनेशनल स्कूल के प्रधानाचार्य चंद्रसेन तिवारी एवं संस्थान परिवार के सभी सदस्य ,कर्मचारी, शिक्षक गण एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारी गण उपस्थित थे

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