भगवान शिव विवाह का प्रसंग सुनाकर श्रोता हुए भावविभोर

भगवान शिव विवाह का प्रसंग सुनाकर श्रोता हुए भावविभोर
गाजीपुर जनपद के मुहम्मदाबाद तहसील क्षेत्र के बैजलपुर स्थित सिद्ध पीठ सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर मैदान में आयोजित श्री सीताराम महायज्ञ में आयोजित राम कथा में अयोध्या से आई प्रेमा सखी ने भगवान शिव विवाह का प्रसंग सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।भगवान् विष्णु के परम पावन पर्व देवोत्थान एकादशी व्रत के दिन यज्ञ में सम्मिलित हुए भक्तो ने बताया कि आज इस अवसर पर हम लोग यज्ञ भगवान की परिक्रमा कर कृतार्थ हुए।
भगवान श्री सीताराम महायज्ञ की भव्य पूर्णाहुति एवं भंडारे का कार्यक्रम 29 नवंबर को संपन्न होगा। यज्ञ आचार्य श्री राम जी उपाध्याय ने बताया कि नित्य सुबह वैदिक विधि विधान से यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है यज्ञ के माध्यम से जो आहुति प्रदान की जाती है वही हविष्य देवताओं को प्राप्त होता है तथा यज्ञ से प्रकृति में जल की वर्षा एवं पर्यावरण का संतुलन भी बना रहता है कार्यक्रम में नागा संप्रदाय के श्री श्री 1008 त्यागी बाबा का नित्य प्रवचन भी रामचरितमानस पर चल रहा है जिसमें सैकड़ो की संख्या में भक्त उपस्थित होकर राम कथा का रसपान कर रहे हैं आचार्य अभिषेक तिवारी ने बताया कि यज्ञ के दौरान ही कार्तिक मास की पावन पूर्णिमा के दिन देव दीपावली का उत्सव मनाया जाता है आगामी 27 नवंबर को सोमवार के दिन सोमेश्वर नाथ धाम परिसर एवं यज्ञशाला परिसर को 51 हजार दीपों से सजाया जाएगा उन्होंने भक्तों से आग्रह किया कि देव दीपावली के दिन सोमेश्वर नाथ धाम अवश्य पहुंचे तथा पुण्य के भागी बने यज्ञ भगवान की परिक्रमा करने एवं प्रवचन सुनने के लिए क्षेत्र के बैजलपुर के अलावा मोहम्मदाबाद तिवारीपुर आदिलाबाद हरिहरपुर अहिरौली सेमरा शेरपुर आदि गांव से भी भारी संख्या में लोग पहुंचकर राम कथा का रसपान कर रहे हैं।
यज्ञ परिसर में चल रही राम कथा में प्रवचन करते हुए नागा साधु सितारा बाबा ने कहा कि भगवान सदेव भक्त के बस में रहते हैं एकादसी की पावन कथा पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि कार्तिक एकादशी का ही व्रत करने वाले राजर्षि अंबरीश की परीक्षा जब दुर्वासा ऋषि ने लेने का प्रयास किया और राजर्षि अंबरीश को दंडित करने लगे तो भगवान विष्णु ने चक्र सुदर्शन उठा लिया और तभी से यह कथा प्रसिद्ध है कि भगवान भक्तों के बस में रहते हैं दुर्वासा ऋषि चक्र भय से तीनों लोकों में घूमते रहे लेकिन नारद जी के सलाह पर जब राजर्षि अंबरीश से क्षमा याचना किया तभी भगवान के चक्र के भय से उनको मुक्ति मिली।
साध्वी प्रेम सखी ने भगवान शिव विवाह से पूर्व मां गौरा पार्वती की तपस्या पर प्रकाश डालते हुए भक्त जनों को बताया कि मां पार्वती ने जब कंदमूल फल त्याग कर सु खा बेलपत्र का प्रसाद ग्रहण करना शुरू किया तो उनका शरीर जर्जर हो गया लेकिन भगवान भोलेनाथ प्रकट नहीं हुए तब मां पार्वती ने निश्चय किया कि मैं अब बेलपत्र का भी त्याग कर निराहार व्रत करूंगी और तभी से मां पार्वती का एक नाम अपर्णा हो गया। श्री सीताराम महायज्ञ में संगीत में राम कथा सुनकर भक्ति कार्तिक मास में पुण्य के भागी बन रहे हैं। चित्रकूट से पधारे अनेक संत महात्मा इस समय में यहां प्रवास कर नित्य गंगा स्नान कर यज्ञ की शोभा बढ़ा रहे हैं।