किसी भी व्यक्ति का आचरण उसके परवरिश परिवेश और परिवार की जानकारी देता है-स्वामी राजनारायणाचार्य

किसी भी व्यक्ति का आचरण उसके परवरिश परिवेश और परिवार की जानकारी देता है-स्वामी राजनारायणाचार्य
भगवान राम का नाम जाने अनजाने प्रत्येक व्यक्ति लेता है।आराम कहे उसमे भी राम,हराम कहे उस मे भी राम,विश्राम कहे उसमे भी राम।भव रूपी सागर को पार करने के लिए श्रीराम का नाम नौका के समान है। जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी राज नारायणाचार्य जी ने कहा।जिस प्रकार सागर में पूर्णिमा और अमावस्या के दिन ज्वार भाटा आता है ठीक उसी प्रकार मन के देवता चंद्रमा के कारण हमारे जीवन में भी उतार चढ़ाव आता रहता है।जैसे सागर का पहला किनारा दिखाई देता है पर दूसरा किनारा दिखाई नहीं देता उसी प्रकार जीवन का भी एक किनारा जन्म दिखाई देता है परंतु दूसरा किनारा मृत्यु दिखाई नहीं देती है।उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत का एक एक अक्षर मंत्र है श्रीमद्भागवत एक सिद्ध ग्रंथ है। क्षणभर का सत्संग जीवन मे अमुल परिवर्तन लाता है। जीवन का सूत्र ही सत्संग है।सत्संग के द्वारा दशा तो नहीं बदलती लेकिन दिशा अवश्य बदल जाती है। दिशा यदि सही मिल जाए तो दशा सुधर जाती है। परमात्मा की प्राप्ति प्रेम से ही संभव है। प्रेम त्याग सिखाता है। मन बुद्धि चित्त और अहंकार चारों जहां काम करना बंद कर देते हैं वहां से प्रेम की शुरुआत होती है।भक्ति और प्रेम में वाणी अवरुद्ध हो जाती है। सतयुग में मंत्र का महत्व था, त्रेता में यंत्र का द्वापर में तंत्र का और कलयुग में द्वेष और नफरत के चलते षड्यंत्र हावी होते जा रहा है। सत्संग और संस्कार के द्वारा ही पुरुषार्थ का जागरण होता है।किसी भी व्यक्ति का आचरण उसके परवरिस परिवेश और परिवार की जानकारी देता है।श्री राम का आचरण चरित्र को चट्टान बनाता है।स्वामीजी ने आचरण पर विशेष बल देते हुए कहा कि पैर उन्ही के पूजे जाते है जिनका आचरण सुंदर हो।रूपवान,धनवान,गुणवान,बलवान होने पर भी अगर आपका आचरण उत्तम नही है तो आप पूज्यनीय नही है।अनेकोनेक दृश्टान्त से आचरण की महिमा से लोगो का मार्गदर्शन किया।