सत्यदेव ग्रुप्स आफ कालेजेज में कन्या पूजन सम्पन्न

सत्यदेव ग्रुप्स आफ कालेजेज में कन्या पूजन सम्पन्न

नवरात्र में जितना दुर्गापूजन का महत्त्व है उतना ही कन्या पूजन का भी है |प्रोफेसर डाक्टर सानंद सिंह ने बताया की देवी पुराण के अनुसार इन्द्र ने जब ब्रह्मा जी भगवती दुर्गा को प्रसन्न करने की विधि पूछी तो उन्होंने सर्वोत्तम विधि के रूप में कन्या पूजन ही बताया और कहा कि माता दुर्गा का जप, ध्यान, पूजन और हवन से भी उतनी प्रसन्न नहीं होती जितना सिर्फ कन्या पूजन से हो जाती हैं |

 


सामान्यतः तीन प्रकार से कन्या पूजन का विधान शास्त्रोक्त है –

१) प्रथम प्रकार- प्रतिदिन एक कन्या का पूजन अर्थात नौ दिनों में नौ कन्याओं का पूजन – इस पूजन को करने से कल्याण और सौभाग्य प्राप्ति होती है |

 


२) दूसरा प्रकार – प्रतिदिन दिवस के अनुसार संख्या अर्थात प्रथम दिन एक, द्वितीय दिन दो, तृतीया – तीन नवमी – नौ कन्या (बढ़ते क्रम में ) अर्थात नौ दिनों में ४५ कन्यों का पूजन – इस प्रकार से पूजन करने पर सुख, सुविधा और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है |
३) तीसरा प्रकार – नौ कन्या का नौ दिनों तक पूजन अर्थात नौ दिनों में नौ X नौ = ८१ कन्याओं का पूजन– इस प्रकार से पूजन करने पर पद, प्रतिष्ठा और भूमि की प्राप्ति होती है |

शास्त्रों के अनुसार कन्या की अवस्था
एक वर्ष की कन्या का पूजन नहीं करना चाहिए
दो वर्ष – कुमारी – दुःख-दरिद्रता और शत्रु नाश
तीन वर्ष – त्रिमूर्ति – धर्म-काम की प्राप्ति, आयु वृद्धि
चार वर्ष – कल्याणी – धन-धान्य और सुखों की वृद्धि
पांच वर्ष – रोहिणी – आरोग्यता-सम्मान प्राप्ति
छह वर्ष – कालिका – विद्या व प्रतियोगिता में सफलता
सात वर्ष – चण्डिका – मुकदमा और शत्रु पर विजय
आठ वर्ष – शाम्भवी – राज्य व राजकीय सुख प्राप्ति
नौ वर्ष – दुर्गा – शत्रुओं पर विजय, दुर्भाग्य नाश
दस वर्ष – सुभद्रा – सौभाग्य व मनोकामना पूर्ति

कन्याओं के पूजन के साथ बटुक पूजन का भी महत्त्व है, दो बालकों को भी साथ में पूजना चाहिए एक गणेश जी के निमित्य और दूसरे बटुक भैरो के निमित्य कहीं कहीं पर तीन बटुकों का भी पूजन लोग करते हैं और तीसरा स्वरुप हनुमान जी का मानते हैं |
एक-दो-तीन कितने भी बटुक पूजें पर कन्या पूजन बिना बटुक पूजन के अधूरी होती है |

कन्याओं को माता का स्वरुप समझ कर पूरी भक्ति-भाव से कन्याओं के हाथ पैर धुला कर उनको साफ़ सुथरे स्थान पर बैठाएं | सभी कन्याओं के मस्तक पर तिलक लगाएं, लाल पुष्प चढ़ाएं, माला पहनाएं, चुनरी अर्पित करें तत्पश्चात भोजन करवाएं |
भोजन में मीठा आवश्यक है, दूध से निर्मित कोई मीठा हो तो यह और भी अच्छा है |

भोजन करवाने के बाद सभी कन्याओं को यथा संभव फल, मिठाई, श्रीफल, दक्षिणा और वस्त्र अथवा कुछ भी उपहार स्वरुप प्रदान करें तत्पश्चात चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें | कन्याओं को थोड़ा अक्षत (चावल) दें आपके चरण स्पर्श के दौरान कन्याएं अक्षत आपके सर पर डालेंगी, यही माता का आशीर्वाद है।आज पूरे परिवार की ओर से माँ नव दुर्गा के नौ रूपों की की बिधि विधान से पूजन अर्चन क़र आशीष लिया गया।

 


इस अवसर पर माँ श्रीमती सावित्री सिंह
CMD प्रोफ़ेसर आनंद सिंह
श्रीमती सुमन सिंह
डॉक्टर सानंद सिंह
डॉक्टर प्रीति सिंह,अमित कुमार सिंह रघुवंशी निदेशक, काउंसलर दिग्विजय उपाध्याय समेत कॉलेज परिवार के अन्य लोग उपस्थित रहे।

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