June 19, 2025

हिंदी एक सहिष्णु भाषा-राजेश राय पिंटू

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हिंदी एक सहिष्णु भाषा-राजेश राय पिंटू

हिन्दी दिवस पर शिक्षक राजेश राय ने बताया कि विश्व में लगभग तीन हजार तथा भारत में १२१ भाषाएँ बोली जाती हैं। इंसानों की तरह इनका भी अपना परिवार है। ये भी आपस में सम्बद्ध हैं। इनकी जड़े भी कहीं न कहीं जुड़ी हुई हैं। ध्वनि, व्याकरण, शब्द-समूह तथा भौगोलिक निकटता का विचार करके मुख्यतः कुल लगभग बारह-तेरह परिवार हैं – द्रविण, चीनी, सेमेटिक, हेमेटिक,आग्नेय, यूराल-अल्टाइक, बांटू, अमरीकी, काकेशस, सूडानी, बुशमैन, जापानी-कोरियाई तथा भारोपीय। हिंदी इसमें से भारोपीय परिवार से सम्बद्ध है। भारोपीय से तात्पर्य भारत और यूरोप के भाषा से है, जो किसी न किसी तरह जुड़ी हुई है। इस परिवार को इंडो-जर्मनीक, इंडो-केल्टिन,इंडो-यूरोपियन, आर्य आदि नामो से भी अभिहित किया जाता है।
आज हम जिस हिंदी का व्यवहार कर रहे हैं। इसका उद्भव आठवीं सदी के आस-पास माना जाता है। वैसे तो इसका विकास शौरसेनी, मागधी और अर्द्ध मागधी अपभ्रंश से हुआ है, पर इसके मूल में प्राचीन आर्यभाषा संस्कृत ही है।
हिंदी में कुल पांच उपभाषाएँ तथा सत्रह बोलियाँ हैं-१. राजस्थानी हिंदी- मारवाड़ी, मालवी, मेवाती, जयपुरी २. पहाड़ी हिंदी- कुमाऊँनी, गढ़वाली ३. बिहारी हिंदी- भोजपुरी, मागधी, मैथिली ४. पश्चिमी हिंदी- खड़ी बोली, ब्रज, हरियाणवी, कन्नौजी, बुंदेली ५. पूर्वी हिंदी- अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी। इनके अलावा दक्खिनी हिंदी को भी हिंदी की एक बोली मानी जाती है। इन बोलियों के अलावा उपबोलियां भी हैं यथा- बिहार की वज्जिका तथा अंगिका। इन बोलियों में खड़ी हिंदी जिसे हम पहले कौरवी के नाम से जानते थे,मानक हिंदी के रूप में स्वीकार है। इस प्रकार देखा जाय तो हिंदी का एक भरा-पूरा परिवार है।
इसके भौगोलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्र-विस्तार को देखकर ही 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने यह निर्णय लिया कि ‘हिन्दी’ केन्द्र सरकार की आधिकारिक भाषा होगी क्योंकि भारत में अधिकतर क्षेत्रों में ज्यादातर हिन्दी भाषा बोली जाती थी इसलिए हिन्दी को राजभाषा बनाने का निर्णय लिया और इसी निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को प्रत्येक क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।
हम हिंद वासियों की तरह हमारी भाषा भी सहिष्णुता से ओतप्रोत है। इसने संसार के सभी भाषाओं के शब्दों को स्वयं में समाहित कर लिया है।इसकी पाचन शक्ति अतुलनीय है। यथा- ‘आई एम भेरी परेशान’ एक गलत वाक्य है जबकि ‘मै बहुत डिस्टर्ब हूँ’ एक सही वाक्य है। हिंदी के एक शब्द ‘परेशान’ से अंग्रेजी के सभी शब्द ‘डिस्टर्ब’ हो गये,पर अंग्रेजी के शब्द ‘डिस्टर्ब’ से हिंदी का कोई शब्द ‘परेशान’ नहीं हुआ। हमें ऐसी मातृभाषा पर गर्व है जो गंगा की तरह पावन, निर्मल और सहिष्णु है।
आज हिंदी दिवस है। हम भारत के लोग इसके सार्वभौमिक विकास का संकल्प लें।

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