गांधी जयंती के अवसर पर ताज पब्लिक स्कूल ताजपुर में गोष्ठी सम्पन्न

गाजीपुर जनपद के ताज पब्लिक स्कूल ताजपुर में गांधी जयंती के अवसर पर ध्वजारोहण के साथ एक विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ जिस में विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ0 रियाजुद्दीन अंसारी ने महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री जी के अवतरण दिवस पर उन के जीवन का संक्षिप्त विवरण दिया और महात्मा गांधी जी के जीवन के कुछ संस्मरण याद किए। उन्होंने बताया कि किस तरह एक बच्चे को मीठा खाने से मना करने के लिए पहले उन्होंने गुड़ खाना छोड़ा फिर उस बच्चे को गुड़ खाने से मना किया। उन्होंने सादा जीवन अपनाया और दूसरों को इस की शिक्षा दी। शास्त्री जी ने असहयोग आंदोलन में अपनी पढ़ाई छोड़ कर महात्मा गांधी के साथ अंग्रेज़ो के निरंकुश शासन के विरोध में अपना स्वर बुलंद किया और फिर सभी आंदोलन में बढ़ चढ़ कर भाग लिया।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी उन्होंने निष्ठा से अलग अलग विभाग में देश की सेवा की और संकट के काल में एक नारा जय जवान जय किसान का दिया। विद्यालय के शिक्षक अखिलेश यादव ने शास्त्री जी के बचपन की बातें सामने रखीं जिस कठिन परिस्थिति में उन्होंने शिक्षा प्राप्त की जब कि पैसे की कमी के कारण उन के पास फीस जमा करने के पैसे नहीं होते थे और वह तैर कर नदी पार करते थे जिस से पैसे बचा सकें। विद्यालय के डायरेक्टर डॉ0 मसूद अहमद ने दोनों रत्नों को श्रद्धांजलि देते हुए उन के त्याग और बलिदान को याद किया। और इस बात पर बल दिया कि आज के बच्चों को इन महापुरुषों के बारे में बताते रहना चाहिए। महात्मा गाँधी जी हिन्दू -मुस्लिम एकता के समर्थक थे और असहयोग आंदोलन में अली ब्रदर के साथ एक सफल आंदोलन आरम्भ किया था।उन्होंने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर सभी को चल कर दिखाया और सम्पूर्ण भारत को एक नई ऊर्जा दी। गांधी जी को सिर्फ़ आज़ादी के आंदोलन से जोड़ना अनुचित होगा क्योंकि अगर ऐसा होता तो उन की मूर्ति इंग्लैंड में नहीं लगती ना ही उन के विचार वहाँ के स्टेशनों पर लगे होते।
गाँधी को सिर्फ़ आज़ादी का नायक समझना अनुचित होगा वह मानवता के नायक थे। शास्त्री जी के शालीन और सादे जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनकी ईमानदारी और निष्ठा इस बात से पता चलती कि उन्होंने जिस भी विभाग में काम किया पूरी कर्तव्य और निष्ठा से किया और जब रेल मंत्री के पद पर थे और रेल दुर्घटना हुई तो उन्होंने इस की ज़िम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दे दिया और नेहरू जी ने उसे इस लिए स्वीकार किया कि यह एक मिसाल बन जाए और आने वाले समय में जनता के सेवक इसी ज़िम्मेदारी से अपना काम करें। उन्होंने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया और आने वाले समय में विद्यालय की ऑनलाइन तिमाही परिक्षा की समीक्षा की जो 5 अक्टूबर से प्रारम्भ होने वाली है।इस अवसर पर विद्यालय द्वारा ऑनलाइन निबंध और ड्राइंग कम्पटीशन का आयोजन कराया गया जिस में बच्चों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।

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