हिंदू मुस्लिम एकता के प्रतीक हजरत शाहनिंदा पीर का 723 वा उर्स सम्पन्न

हिदू मुस्लिम एकता के प्रतीक नगर के शाहनिंदा स्थित हजरत शाहनिंद पीर के 723 वें उर्स के मौके पर शनिवार को जियारत के लिए जायरीनों की काफी भीड़ उमडी। मजार पर प्रदेश के बाहर के लोग भी काफी संख्या में पहुंचते हैं। गाजीपुर उजियार भरौली जाने वाली एनएच-31 पर शाहनिदा के पास हजरत शाहनिद पीर की मजार है, जहां सप्ताह में दो दिन गुरुवार व शुक्रवार को दर्शन पूजन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती है। इसमें मुस्लिम से ज्यादा हिदू धर्मावलंबियों की संख्या होती है। बाबा के बारे में तरह-तरह की कहानियां प्रचलित है। कथाओं के अनुसार क्षेत्र के सेमरा के जगतनारायण राय पुलिस विभाग में नौकरी करते थे। आधी रात को वह अवकाश लेकर घर जाने के लिए शाहनिदा में किसी वाहन से उतरे। उनके पास सामान भी था, उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था कि आखिर वे घर कैसे जाएं। इसी बीच एक व्यक्ति उनके पास पहुंचा और उनका सामान ले जाने के लिए तैयार हो गया। सिपाही अपना बक्सा आदि सामान उस व्यक्ति के सिर पर रखकर अपने आगे-आगे चल दिए। कुछ दूर आगे जाने पर जब देखा तो सामान लिए वह आदमी गायब था। अब बेचारे परेशान हाल मन मसोस कर अपने घर पहुंचे। जब घर पहुंचे तो परिवार के लोग उनका इंतजार करते मिले। बताया कि एक व्यक्ति उनका सामान लाकर दे गया है। इस पर उनको विश्वास भी नहीं हुआ कि आखिर वह आदमी बिना नाम पता की जानकारी के उनके घर कैसे पहुंच गया। उनके मन में विचार आया कि हो न हो वह आदमी कोई साधारण व्यक्ति नहीं बल्कि शाहनिद पीर बाबा ही थे। उसके बाद सिपाही श्री राय बाबा की मजार पर आकर सेवा-सत्कार में जुट गए। उनके मरने के बाद उनकी मजार बाबा की मजार की ठीक बगल में बना दी गई। आज भी लोग हजरत शाहनिंद पीर के साथ उनका भी पूजन करते हैं। मान्यता के अनुसार मजार पर मांगी गई मन्नत अवश्य पूरी होती है। उर्स के मौके पर पूरे दिन मेला लगा रहा। शाम को चादरपोशी के साथ मेला संपन्न किया गया।

शाहनिंदा में पीर बाबा का उर्स मेला धूमधाम से संपन्न हुआ। मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा का आशीर्वाद लेने पहुंचे।

बताया जाता है कि शाहनिंद पीर बाबा का यह 723वां उर्स मेला था। इस अवसर पर पीर बाबा के मजार पर लाखों की तादाद में श्रद्धालु आये और बाबा के दर पर माथा टेक कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किये।उर्स मेले को लेकर मेले में काफी चहल-पहल रही। मेले की पूर्व संध्या पर कव्वाली का भी आयोजन हुआ ।3 फरवरी की सुबह लगभग 4:30 बजे सुबह गुसुल हुआ। 5 बजे सुबह फजर की नमाज के बाद कुरान खानी हुई ।इसके बाद बाबा के मजार पर चादर चढ़ाने का कार्यक्रम हुआ। यह सिलसिला लगभग देर रात तक चलता रहा। इस उर्स पर दूर दराज से नागरिक आए हुए थे ।ग्रामीण क्षेत्र जैसे करीमुद्दीनपुर, ढोढाडीह, शाहबाज कुली ,फखनपुरा, सुरतापुर ,मुर्की व अन्य कई ग्रामीण क्षेत्रों से आए हुए श्रद्धालुओं का ताता लगा रहा ।यह कार्यक्रम देर रात तक चला ।देर रात तक नागरीक मेले का आनंद लेते रहे।

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