माघ पूर्णिमा पर स्नान और दान का है विशेष महत्व, इस दिन पितरों को भी करते हैं याद

माघ पूर्णिमा पर स्नान और दान का है विशेष महत्व, इस दिन पितरों को भी करते हैं याद
माघ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को माघ पूर्णिमा कहते हैं। इसे माघ मास का अंतिम दिन माना जाता है इसके अलावा इसे माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत पुण्यकारी माना जाता है। धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान, दान और जप को बहुत पुण्य फलदायी बताया गया है। माघ पूर्णिमा पर माघ स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यताओं के अनुसार माघ स्नान करने वाले मनुष्यों पर भगवान माधव प्रसन्न रहते हैं और उन्हें सुख-सौभाग्य, धन-संतान और मोक्ष प्रदान करते हैं। इस बार माघ पूर्णिमा 5 फरवरी को मनाई जाएगी।
माघ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
माघ पूर्णिमा प्रारम्भ – 4 फरवरी, रात 09 बजकर 29 मिनट पर शुरू
5 फरवरी, रात 11 बजकर 58 मिनट पर खत्म
उदया तिथि के अनुसार माघ पूर्णिमा 5 फरवरी 2023 को मनाई जाएगी
स्नान का शुभ समय- 5 फरवरी, सुबह 05 बजकर 22 मिनट से सुबह 06 बजकर 14 मिनट तक
माघ पूर्णिमा का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माघ माह में देवता पृथ्वी पर आते हैं और मनुष्य रूप धारण करके प्रयाग में स्नान, दान और जप करते हैं। इसलिए कहा जाता है कि इस दिन प्रयाग में गंगा स्नान करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार अगर माघ पूर्णिमा के दिन पुष्य नक्षत्र हो तो इस तिथि का महत्व और बढ़ जाता है।
माघ पूर्णिमा की पूजा विधि
माघ पूर्णिमा पर स्नान, दान, हवन, व्रत और जप किये जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन, पितरों का श्राद्ध और गरीब व्यक्तियों को दान देना शुभ माना जाता है। माघ पूर्णिमा के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें और व्रत का संकल्प लेकर भगवान मधुसूदन की पूजा करें। मध्याह्न काल में गरीब व्यक्ति और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देना चाहिए। विशेष रूप से काला तिल दान में देना चाहिए। माघ माह में काले तिल से हवन और काले तिल से पितरों का तर्पण करना चाहिए।