June 19, 2025

भक्ति यम-नियम व भाव से होनी चाहिए-आचार्य शांतनु महाराज

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भक्ति यम-नियम व भाव से होनी चाहिए-आचार्य शांतनु महाराज

उमा पब्लिक स्कूल,बेलहरी,गाज़ीपुर में आयोजित श्रीरामकथा के षष्ठ दिवस पर कथावाचक आचार्य शांतनु महाराज ने भक्ति की गूढ़ता बताई, उन्होंने पूजन में इन खास बातों का ख्‍याल रखने को कहा

आचार्य शांतनु बताते हैं कि पूजन का विशेष नियम है जिसका सबको पालन करना चाहिए। नियम की अनदेखी करने पर परमात्मा प्रसन्न नहीं होते। इसी कारण उसका सार्थक फल लोगों को नहीं मिलता। ऐसी स्थिति में पूजन के दौरान कुछ नियम का पालन करना चाहिए।

मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए सनातन धर्मावलंबी सुबह आराध्य का पूजन करते हैं। हर कोई किसी न किसी देवी-देवता का पूजन करके दिन की शुरुआत करते हैं। कथावाचक आचार्य शांतनु जी महाराज बताते हैं कि भक्ति यम-नियम व भाव से होनी चाहिए। उन्‍हाेंने कहा कि अधिकतर व्यक्ति उससे अनभिज्ञ होते हैं। बताते हैं कि नियम विहीन भक्ति का कोई अर्थ नहीं होता। ऐसे में हर व्यक्ति को पूजन के दौरान जरूरी सावधानियां बरतनी चाहिए।

बोले, नियम का करें पालन

आचार्य शांतनु बताते हैं कि पूजन का विशेष नियम है, जिसका सबको पालन करना चाहिए। नियम की अनदेखी करने पर परमात्मा प्रसन्न नहीं होते। इसी कारण उसका सार्थक फल लोगों को नहीं मिलता। ऐसी स्थिति में पूजन के दौरान कुछ नियम का पालन करना चाहिए।

शांतनु जी ने कहा- जप करते समय जीभ या होंठ को नहीं हिलाना चाहिए

-एक हाथ से किसी को प्रणाम नहीं करना चाहिए।

-सोए हुए व्यक्ति का चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए।

-बड़ों को प्रणाम करते समय उनके दाहिने पैर पर दाहिने हाथ से और उनके बांये पैर को बांये हाथ से छूकर प्रणाम करें।

-जप करते समय जीभ या होंठ को नहीं हिलाना चाहिए। इसे उपांशु जप कहते हैं। इसका फल सौगुणा फलदायक होता हैं।

-जप करते समय दाहिने हाथ को कपड़े या गौमुखी से ढककर रखना चाहिए।

-जप के बाद आसन के नीचे की भूमि को स्पर्श कर नेत्रों से लगाना चाहिए।

-संक्रांति, द्वादशी, अमावस्या, पूर्णिमा, रविवार और संध्या के समय तुलसी की पत्ती नहीं तोडऩी चाहिए।

-दीपक से दीपक को नहीं जलाना चाहिए।

-यज्ञ, श्राद्ध आदि में काले तिल का प्रयोग करना चाहिए, सफेद तिल का नहीं।

-शनिवार को पीपल पर जल चढ़ाना चाहिए। पीपल की सात परिक्रमा करनी चाहिए। परिक्रमा करना श्रेष्ठ है।

-भोजन प्रसाद को लाघंना नहीं चाहिए।

-किसी को भी कोई वस्तु या दान-दक्षिणा दाहिने हाथ से देना चाहिए।

-एकादशी, अमावस्या, कृष्ण चतुर्दशी, पूर्णिमा व्रत तथा श्राद्ध के दिन क्षौर-कर्म (दाढ़ी) नहीं बनाना चाहिए।

-बिना यज्ञोपवित या शिखा बंधन के जो भी कार्य, कर्म किया जाता है, वह निष्फल हो जाता हैं।

-शिवलिंग पर शिवरात्रि के सिवाय कुमकुम नहीं चढ़ती।

-शिवजी को कुंद, विष्णु जी को धतूरा, देवी जी को आक तथा मदार और सूर्य भगवान को तगर के फूल नहीं चढ़ाना चाहिए।

-अक्षत देवताओं को तीन बार तथा पितरों को एक बार धोकर चढ़ावे।

-विष्णु भगवान को चावल, गणेश जी को तुलसी, दुर्गा जी और सूर्य नारायण को बिल्व पत्र नहीं चढ़ाना चाहिए।

-पान की डंडी का अग्रभाग तोड़कर चढ़ाना चाहिए।

-सभी धार्मिक कार्यो में पत्नी को दाहिने भाग में बिठाकर धार्मिक क्रियाएं सम्पन्न करनी चाहिए।

-पूर्वाभिमुख बैठकर अपने बांयी ओर घंटा, धूप तथा दाहिनी ओर शंख, जलपात्र एवं पूजन सामग्री रखें।

-बिना स्नान किये जो तुलसी पत्र जो तोड़ता है उसे देवता स्वीकार नहीं करते। रविवार को दूर्वा नहीं तोडऩी चाहिए।

-पंचामृत में यदि सब वस्तु प्राप्त न हो सके तो केवल दुग्ध से स्नान कराने मात्र से पंचामृतजन्य फल जाता है।

-शालिग्राम पर अक्षत नहीं चढ़ता। लाल रंग मिश्रित चावल चढ़ाया जा सकता है।

-आसन, शयन, दान, भोजन, वस्त्र संग्रह, विवाद और विवाह के समयों पर छींक शुभ मानी गई है।

-पौष मास की शुक्ल दशमी तिथि, चैत्र की शुक्ल पंचमी और श्रावण की पूर्णिमा तिथि को लक्ष्मी प्राप्ति के लिए लक्ष्मी का पूजन करें।

कथा में विधान परिषद सदस्य विशाल सिंह चंचल ने ब्यास पीठ का पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।इस अवसर पर पूर्व एम एल सी राजदेव सिंह, उपजिलाधिकारी सैदपुर ओमप्रकाश गुप्त सहित रामगोपाल सिंह,आनंद सिंह,अतुल सिंह व क्षेत्र की श्रद्धालु जनता उपस्थित रही।

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