June 19, 2025

भगवान् श्रीराम जैसा पिता का भक्त संसार में आज तक कोई नहीं हुआ -स्वामी राजनारायणाचार्य,

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भगवान् श्रीराम जैसा पिता का भक्त संसार में आज तक कोई नहीं हुआ -स्वामी राजनारायणाचार्य,

भगवान् श्रीराम जैसा पिता का भक्त संसार में आज तक कोई हुआ ही नहीं । जहाँ यौवराज्याभिषेक होने जा रहा था, किन्तु माता कैकयी के दुराग्रह से महाराजा दशरथ धर्मसंकट में पड़कर मौन स्वीकृति दिये जिससे श्रीराम लक्ष्मण एवं भगवती सीता को चौदह वर्षों के लिये वन जाना पड़ा।भगवान् श्रीराम एक बार भी अपने पिताजी से पूछे तक नहीं कि पिताजी मुझे जंगल क्यों भेज रहे हैं।
यही है भारत की दिव्य संस्कृति जिसका अनुपालन कर जीवन को दिव्य बनाया जा सकता है।
जो व्यक्ति जन्मदाता माता-पिता का भक्त नहीं बन पाया, वह कभी भी गुरुभक्त नहीं पायेगा।
जो गुरुभक्त ही नहीं बन पाया, भला वह श्रीभगवान का भक्त कैसे बन पायेगा।

वेद,श्रीरामायण तथा श्रीमद्भागवत का यही संदेश है कि यदि तुम सम्यक् गृहस्थधर्म का पालन करना चाहते हो, तो सर्वप्रथम माता पिता की सेवा करो।आज्ञापालन को सेवा कहते हैं।
पूर्णब्रह्म कर्तुमकर्तुमन्यथाकर्तुसमर्थ भगवान् श्रीराम ने स्वयं आचरण कर जगत् को शिक्षा दिये हैं।

संसार में श्रीराम ही सर्वश्रेष्ठ सत्पथगामी हैं।
वास्तव में श्रीराम का आचरण ही मूल सनातन धर्म है।
पूर्णब्रह्म श्रीनारायण ही मर्त्यलोक में मर्यादा की स्थापना के लिए मानवावतार लिए हैं, जिन्हें श्रीराम नाम से जगत् जानता है ।
पूर्णब्रह्म श्रीराम सत्परायण, सत्यप्रतिज्ञ, सत्यसंकल्प, सत्पुरुष, मृदुभाषी, मधुभाषी, शिष्टभाषी, अनुशिष्टभाषी, मिष्टभाषी, ऋतभाषी, मितभाषी, हितभाषी, सत्यभाषी, प्रियभाषी, पूर्वभाषी तथा अपूर्वभाषी हैं।
वे बहुश्रुत विद्वानों, वयोवृद्धों तथा ब्राह्मणों को अपूर्व आदर देनेवाले हैं।

श्रीराम पूरणकाम केशव कृष्ण विष्णु सनातनम्।
वपु प्राण-प्राण प्रणम्य पावन पद्मनाभ नमाम्यहम्॥

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