आज पुष्य योग में विशेष पूजन सम्पन्न हुआ जाने पुष्य नक्षत्र का महत्व, ज्योतिषाचार्य डॉ.अर्जुन पाण्डेय से

ज्योतिषाचार्य डॉ.अर्जुन पाण्डेय के अनुसार इस मुहूर्त में क्यों की जाती है खरीदारी
ज्योतिष शास्त्र के अलावा वेदों और पुराणों में भी पुष्य नक्षत्र के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें बताई हैं। जिनके कारण इस नक्षत्र को बहुत ही खास माना गया है। पुष्य नक्षत्र में विवाह को छोड़कर अन्य मांगलिक और महत्वपूर्ण कामों की शुरुआत की जाती है। इसके साथ ही खरीदारी, निवेश और बड़े व्यापारिक लेन-देन इस नक्षत्र में करना शुभ माना जाता है। वहीं शरद ऋतु यानी कार्तिका माह में आने वाले पुष्य नक्षत्र को शुभ और कल्याणकारी माना गया है।
पुष्य नक्षत्र का महत्व
पाणिनी संहिता में लिखा है – पुष्य सिद्धौ नक्षत्रे सिध्यन्ति अस्मिन् सर्वाणि कार्याणि सिध्यः। पुष्यन्ति अस्मिन् सर्वाणि कार्याणि इति पुष्य।। अर्थात पुष्य नक्षत्र में शुरू किए गए सभी कार्य पुष्टि दायक, सर्वार्थसिद्ध होते ही हैं, निश्चय ही फलीभूत होते हैं।
वेदों में पुष्य
पुष्य को ऋग्वेद में तिष्य अर्थात शुभ या मांगलिक तारा कहते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार गाय के थन को पुष्य नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह माना जाता है तथा ये प्रतीक चिन्ह भी हमें पुष्य नक्षत्र के स्वभाव के बारे में बहुत कुछ बताता है। गाय को भारतवर्ष में प्राचीन तथा वैदिक काल से ही पूज्या माना जाता है तथा गाय के दूध की तुलना वैदिक संस्कृति में अमृत के साथ की जाती थी। पुष्य नक्षत्र गाय के थन से निकले ताजे दूध जैसा पोषणकारी, लाभप्रद व देह और मन को प्रसन्नता देने वाला होता है। इसलिए ऋग्वेद में पुष्य नक्षत्र को मंगल कर्ता, वृद्धि कर्ता और सुख समृद्धि देने वाला भी कहा गया है।
ज्योतिष में पुष्य
सत्ताइस नक्षत्रों में पुष्य आठवां नक्षत्र है। इस नक्षत्र के उदय होने पर ज्योतिषी शुभ कार्य करने की सलाह देते हैं। सभी नक्षत्रों में इसे सबसे अच्छा माना जाता है। पुष्य नक्षत्र के दौरान चंद्रमा कर्क राशि में स्थित होता है। बारह राशियों में एकमात्र कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है। इसके अलावा चंद्रमा अन्य किसी राशि का स्वामी नहीं है। चंद्रमा धन का देवता है। इसलिए पुष्य नक्षत्र को धन के लिए अत्यन्त पवित्र माना जाता है। इसलिए सोना, चांदी और नए सामानों की खरीदारी के लिए पुष्य नक्षत्र को सबसे पवित्र माना जाता है। सूर्य जुलाई के तीसरे सप्ताह में पुष्य नक्षत्र में गोचर करता है। उस समय यह नक्षत्र पूर्व में उदय होता है। मार्च महीने में रात्रि 9 बजे से 11 बजे तक पुष्य नक्षत्र अपने शिरोबिन्दु पर होता है। पौष मास की पूर्णिमा को चन्द्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है। इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनि है।
पोषण करने और ऊर्जा देने वाला पवित्र नक्षत्र
पुष्य शब्द का अर्थ है पोषण करना या पोषण करने वाला। पुष्य ऊर्जा-शक्ति प्रदान करने वाला नक्षत्र है। इस शब्द के ही अनुसार ये नक्षत्र सौभाग्य, समृद्धि और सुख के साथ पोषण करने वाला माना गया है। कुछ वैदिक ज्योतिषियों द्वारा पुष्य को तिष्य नक्षत्र भी कहा गया है। तिष्य शब्द का अर्थ है शुभ होना तथा यह अर्थ भी पुष्य नक्षत्र को शुभता ही प्रदान करता है। मतान्तर से पुष्य शब्द को पुष्प का बिगड़ा रूप मानते हैं। इस शब्द के कारण भी ये नक्षत्र सुंदरता और पवित्रता लिए हुए है।
बृहस्पति और शनि ग्रह की तरह गुण
पुष्य को नक्षत्रों का राजा भी कहते हैं। माना जाता है कि पुष्य नक्षत्र की साक्षी से किए गए कार्य हमेशा सफल होते हैं। ज्योतिषाचार्य पं प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि व अधिष्ठाता बृहस्पति देव हैं। शनि के प्रभाव से इस नक्षत्र का स्वभाव स्थायी या लंबे समय तक होता है। इसलिए पुष्य नक्षत्र में खरीदी हुई वस्तु शनि के प्रभाव के कारण स्थाई रूप से बनी रहती है और बृहस्पति देव के कारण वह समृद्धिदायी होती है। शास्त्रों में गुरु’ को पद-प्रतिष्ठा, सफलता और ऐश्वर्य का कारक माना गया है और शनि को वर्चस्व , न्याय एवं श्रम का कारक माना गया है, इसीलिए पुष्य नक्षत्र की उपस्थिति में महत्वपूर्ण कार्य करने को शुभ माना जाता है।
पुष्य नक्षत्र में कौन से काम करना शुभ
पुष्य नक्षत्र खरीददारी के लिए उत्तम माना गया है। इस दौरान वाहन, जमीन या घर खरीदना बेहद लाभकारी माना जाता है। पुष्य नक्षत्र में किए गए काम दोषमुक्त होते हैं और जल्दी ही सफल हो जाते हैं। पुष्य नक्षत्र रविवार या गुरुवार को पड़े तो यह बेहद शुभदायक माना जाता है। इस शुभ संयोग को रवि पुष्य और गुरु पुष्य कहा जाता है।
पुष्य एक अन्ध नक्षत्र है। पुष्य-नक्षत्र में खोई हुई वस्तु शीघ्र प्राप्त हो जाती है।पुष्य नक्षत्र को शुभ तो माना ही जाता है लेकिन इसको थोड़ा अशुभ भी माना जाता है। जब पुष्य नक्षत्र शुक्रवार के दिन आता है तब यहृ उत्पात व बाधाकारक होता है। विवाह में भी पुष्य नक्षत्र को अशुभ माना गया है। विवाह लग्न के लिए पुष्य नक्षत्र अशुभ माना जाता है।
यदि कोई पुष्य नक्षत्र के योग में स्वर्ण आभूषण खरीदता है तो उसे इन चीजों से स्थाई लाभ प्राप्त होता है। इनसे प्राप्त धन बरकत देता है।
पुष्य नक्षत्र में यदि आप किसी कंपनी के शेयर में निवेश करना चाहते हैं तो यह भी फायदेमंद हो सकता है। निवेश से पूर्व संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य करना चाहिए।
इस काल में जो वस्तुएं खरीदी जाती हैं, उससे हमारे परिवार को भी लाभ होता है। खरीदने वाले व्यक्ति के परिवार को भी विशेष सुविधा और शुभ फल प्रदान करती है।
यदि पुष्य नक्षत्र में वाहन खरीदते हैं तो उस वाहन से दुर्घटना की संभावनाएं कम रहती हैं। साथ ही, वाहन से दुर्घटना के योग टल भी सकते हैं। वाहन चलाते समय हमें स्वयं भी पूरी सावधानी रखनी चाहिए, यातायात के नियमों का पालन करना चाहिए।
व्यापारियों के लिए यह दिन काफी फायदेमंद रहता है। इस दिन बही-खाते खरीदने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि पुष्य नक्षत्र में बही-खाते खरीदने पर व्यापार में मुनाफा अधिक होता है और लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
पुष्य नक्षत्र में सफेद रंग की वस्तुएं जैसे चावल, शकर आदि में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है। निवेश से पूर्व सावधानी रखना जरूरी है।
पुष्य नक्षत्र में दूध का दान करने पर अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। धन संबंधी समस्याओं का निराकरण होता है।
यदि कोई पुष्य नक्षत्र में व्यापार के लिए वाहन खरीदता है तो उसे व्यापार में लाभ प्राप्त हो सकता है। यह वाहन व्यापार की उन्नति में मददगार साबित हो सकता है।