June 25, 2025

इस बार काशी में कार्तिक पूर्णिमा से एक दिन पहले ही मनाई जाएगी देव दिवाली

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इस बार काशी में कार्तिक पूर्णिमा से एक दिन पहले ही मनाई जाएगी देव दिवाली

देव दीपावली में दशाश्वमेध घाट पर होती है भव्य गंगा आरती

केंद्रीय देव दीपावली महासमिति के अध्यक्ष आचार्य वागीश दत्त मिश्रा ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा पर चन्द्रग्रहण के कारण इस बार काशी में इसका आयोजन 7 नवम्बर को किया जाएगा. इससे जुड़ी सभी समितियों ने बैठक और विद्वानों से चर्चा के बाद इसका फैसला किया है. बैठक में गंगा सेवा निधि, गंगोत्री सेवा समिति, जय मां गंगा सेवा समिति, टूरिस्ट वेलफेयर एसोशिएशन सहित अन्य संस्था के पदाधिकारी शामिल रहे.

इस बार कार्तिक पूर्णिमा यानी 8 नवम्बर के बजाय 7 नवम्बर को वाराणसी में मनेगी देव दिवाली

वाराणसी के दशाश्वमेध घाट और राजेंद्र प्रसाद घाट के अलावा अस्सी घाट पर भी होगी महाआरती.

अयोध्या की दिवाली के बाद काशी में भव्य तरीके से देव दिवाली मनाई जाती है. हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन इस पर्व को मनाया जाता है. इस दिन काशी के अर्धचंद्राकार घाटों पर एक साथ लाखों दीप जलाए जाते हैं. जिसको देखने के लिए पूरी दुनिया से लोग यहां आते हैं. लेकिन इस बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन यानी 8 नवम्बर को इसका आयोजन नहीं होगा. ऐसा इसलिए कि इस दिन चन्द्रग्रहण लग रहा है, जिसके कारण इससे जुड़े आयोजकों ने इसकी तारीख बदल दी है.

केंद्रीय देव दीपावली महासमिति के अध्यक्ष आचार्य वागीश दत्त मिश्रा ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा पर चन्द्रग्रहण के कारण इस बार काशी में इसका आयोजन 7 नवम्बर को किया जाएगा. इससे जुड़ी सभी समितियों ने बैठक और विद्वानों से चर्चा के बाद इसका फैसला किया है. बैठक में गंगा सेवा निधि, गंगोत्री सेवा समिति, जय मां गंगा सेवा समिति, टूरिस्ट वेलफेयर एसोशिएशन सहित अन्य संस्था के पदाधिकारी शामिल रहे.

इन घाटों पर होगी महाआरती

इस बार कार्तिक पूर्णिमा यानी 8 नवम्बर के बजाय 7 नवम्बर को वाराणसी के दशाश्वमेध घाट और राजेंद्र प्रसाद घाट के अलावा अस्सी घाट पर महाआरती होगी. इसके अलावा अलग-अलग समितियां इस दिन अलग-अलग घाटों पर दीपोत्सव भी करेंगी.

सूतक काल में पूजा की होती है मनाही

केंद्रीय देव दीपावली महासमिति के अध्यक्ष आचार्य वागीश दत्त मिश्रा ने बताया कि चंद्रग्रहण से पहले सूतक काल लग गया. 8 नवम्बर को लगने वाले ग्रहण के लिए 7 नवम्बर को रात्रि 8 बजकर 10 मिनट से अगले दिन शाम को 6 बजकर 10 मिनट तक का समय सूतक काल होगा. शास्त्रों के मुताबिक, सूतक काल में पूजा और दीपोत्सव के कार्य की मनाही है. जिसके कारण इसका आयोजन एक दिन पहले हो रहा है.

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