प्रातःकाल अपने हाथों का दर्शन करने से लक्ष्मी की कृपा होती है-जीयर स्वामी

प्रातःकाल अपने हाथों का दर्शन करने से लक्ष्मी की कृपा होती है-जीयर स्वामी
बलिया जनपद के जनेश्वर मिश्रा सेतु के एप्रोइ मार्ग के पास आयोजित चातुर्मास ब्रत के दौरान श्री लक्ष्मी प्रपन्न पूज्य श्री जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा की जो मनुष्य अपना उद्धार करना चाहता है, अपना कल्याण करना चाहता है सबसे पहले नित्य प्रातःकाल ब्रम्ह बेला में जगना चाहिए। इसका मतलब सूर्योदय से डेढ़ घंटा पहले जग जाना चाहिए। चाहे बीमार, रोगी ही क्यों न हो। जग करके श्री हरि बोलकर तीन बार उच्चारण करना चाहिए। ऐसा करने से जाने अनजाने में जो अपराध हो जाता है या होने की संभावना है वह अपने आप में मार्जन होता है। क्योंकि जो हम शरीर से पाप नही करते हैं उतना हम स्वप्न में करते हैं। तब अपने हाथों का दर्शन करके परमात्मा का प्रार्थना करना चाहिए। हाथ के अग्र भाग में लक्ष्मी की कृपा होती है। मध्य भाग में सरस्वती की कृपा होती है। हाथ के मुल भाग का दर्शन करने से गोविंद नारायण की कृपा होती है।
जिस दिन कोई पर्व हो उस दिन दातुन से मुहं नही धोना चाहिए।
दिन में उत्तर की तरफ रात में दक्षिण की तरफ मुंह करके लघुशंका तथा शौच करें। फिर हाथ पैर
गंगा में,दया की गंगा में सदाचार की गंगा में, परमार्थ की गंगा में स्नान करें। जल में स्नान करके जल में ही किसी देवता को जल देना हो तो सुखा वस्त्र पहनकर नही जल देना चाहिए। बाहर आकर सुखे वस्त्र पहन कर जल देना चाहिए। ऐसा शास्त्र में विधान बताया गया है।
जहां सत्य नही वहां कुछ नही। लेकिन आज के परिवेश में सबकुछ है परंतु सत्य ही नही है। असत्य के समान दुसरा कोई पाप नही है। सत्य के समान दुसरा कोई पुण्य नही है। प्राण संकट में हो तभी झुठ बोलना चाहिए। झुठ का दोष तो लगेगा ही परंतु क्षम्य होगा। स्त्री पुरुष आपस में वार्तालाप कर रहें हो। पत्नी या पति थोड़ी कठोर स्वभाव का हो इनमे से कोई धमकी भरे शब्दों में मरने की बात कर रहा हो वहां थोड़ा सा झुठ बोला जा सकता है। कन्या के विवाह के समय भी थोड़ा सा ऊंच नीच बोल देने से यदि विवाह हो जा रहा हो तो वहां झुठ का दोष नही लगता। प्राण संकट के समय, जीविकोपार्जन की अंतिम सीमा समाप्त हो रही है। जब लगे की परिवार, घर, गृहस्थी सब कुछ अब नही रहेगा तो वहां भी थोड़ा सा झुठ बोल देने से दोष नही लगता है। यदि राष्ट्र, देश में किसी दुष्ट द्वारा किसी नारी को दिग्भ्रमित किया जा रहा है तो वहां भी नारी को बचाने के लिए झुठ बोला जा सकता है। यहीं मनुष्य की पहचान है।