चिता भस्म के साथ भगवान श्री कृष्ण के प्रिय रंगों से खेली जाएगी इस बार मसाने की होली
चिता भस्म के साथ भगवान श्री कृष्ण के प्रिय रंगों से खेली जाएगी इस बार मसाने की होली
वाराणसी। रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन महामसान पर होने वाली चिता भस्म की होली इस साल 15 मार्च को और भव्य रुप से मनाई जाएगी। अप्हरान 11.30 बजे से प्रारंभ होकर 12 बजे आरती के साथ ही मसाने की होली शुरु होगी। विशेष द्वारिका जी से आये संदेश के चलते इस वर्ष श्री कृष्ण के पसंद के रंगों को भी मसाने की होली में शामिल कर भस्म के साथ दिव्य होली खेली जाएगी।
रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन भोले बाबा के भक्त चिता की भस्म से होली खेलेंगे। फाल्गुल शुक्ल द्वादशी को महाश्मशानपर चिता भस्म के साथ होली खेली जाती है। यह होली भगवान महाश्मशानाथ मतलब भूत भावनशंकर अपने गणों भूत-प्रेत, पिशाच, यक्ष, गंधर्व, राक्षस आदि के साथ खेलते हैं।
श्री श्री 1008 महाश्मशाननाथ सेवा समिति के व्यवस्था गुलशन कपूर ने बताया कि नियमित कार्यक्रम के तहत आदि देव शंकर दोपहर में स्नान के लिए मणिकर्णिका तीर्थ पर पहुंचते हैं। स्नान के बाद महाश्मशान नाथ की आरती और बाबा को भस्म अर्पित किया जाता है। फिर 51 वाद्ययंत्रों के बीच आरती होती है। उसके बाद जलती चिताओं के साथ भोलेनाथ अपने प्रिय विशिष्ट भक्तों के साथ चिता भस्म की होली खेलते हैं।
शिवपुराण और दुर्गा सप्तशती में इसका उल्लेख भी मिलता है। पुराणों के अनुसार मान्यता है कि खुद भूतभावन भगवान शंकर ने अपने अति प्रियगणों को मनुष्यों और देवी देवाताओं से दूर रहने का आदेश दे रखा है। लिहाजा रंग भरी एकादशी में जब देवता और मनुष्य बाबा के साथ होली खेलते हैं तो वो इससे अलग रहते हैं। ऐसे में वो अगले दिन मणिकर्णिका तीर्थ पर बाबा के साथ चिताभस्म की होली खेलते हैं।