यज्ञ ही समस्त भुवनों का केंद्र है – जीयर स्वामी
यज्ञ ही समस्त भुवनों का केंद्र है – जीयर स्वामी
कर्मकांड यज्ञ परक है, कर्म, भक्ति व ज्ञान का समन्वयात्मक वेदसम्मत जीवन दर्शन ही यज्ञ है। यज्ञ ही समस्त भुवनों का केंद्र है। उक्त बातें श्री जीयर स्वामी जी महाराज ने खरवनिया गांव में आयोजित श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के दौरान यज्ञ के महात्म्य की व्याख्या करते हुए प्रवचन में कही। अपने प्रवचन में जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि संपूर्ण जगत यज्ञमय है जो सदा, सर्वदा व सर्वत्र होता रहता है। संध्या, तर्पण, बलिवैश्वदेव, देव पूजन, अतिथि सत्कार, व्रत, जप, तप, कथा श्रवण, तीर्थ यात्रा आदि सभी व्यवहार यज्ञ स्वरूप ही है। जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि यज्ञ भारतीय संस्कृति का मूल आधार है। यज्ञ भारतीय मनीषियों के द्वारा दिया गया एक बड़ा धरोहर है। संपूर्ण समाज को एक सूत्र में बांधने का यज्ञ ही एकमात्र साधन है। यज्ञ मन क्रम वचन की शुद्धिकरण का विधा भी है। यज्ञ व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, मानसिक, प्रदूषण का एकमात्र निराकरण है। यज्ञ एक ऐसी दिव्य औषधि है जो हमारे आंतरिक दूषित विचारों को दूर करके शांति प्रदान करती है। यज्ञ ही सृष्टि का विस्तार और विकास का कारण भी है।